CBSE Class 6 Hindi Grammar भाषा, लिपि और व्याकरण

 

हिंदी भाषा, लिपि और व्याकरण


CBSE Class 6 Hindi Grammar भाषा, लिपि और व्याकरण

मनुष्य बोलकर अपने भावों को व्यक्त करता है तथा आवश्यकता पढ़ने पर वह लिखकर भी मन की बात को स्पष्ट करता है। इन दोनों का मूल आधार भाषाही है। भाषा शब्द भाष धातु से बना है। इसका अर्थ है-बोलना। 



मनुष्य जिन ध्वनियों को बोलकर अपनी बात कहता है, उसे भाषा कहते हैं।

भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों को आदान प्रदान करता है।

भाषा के रूप
भाषा के दो रूप हैं-
CBSE Class 6 Hindi Grammar भाषा, लिपि और व्याकरण

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मौखिक भाषा  जब व्यक्ति अपने मन के भावों को बोलकर व्यक्त करता है, तो वह भाषा का मौखिक रूप कहलाता है।
लिखित भाषा  जब व्यक्ति अपने मन के भावों को लिखकर व्यक्त करता है, तो वह भाषा का लिखित रूप कहलाता है।
लिपि  भाषा का प्रयोग करते समय हम सार्थक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। इन्हीं मौखिक ध्वनियों को जिन चिह्नों द्वारा लिखकर व्यक्त किया जाता है, वे लिपि कहलाते हैं। लिपि की परिभाषा हम इस प्रकार दे सकते हैं

किसी भी भाषा के लिखने की विधि को लिपि कहा जाता है।
प्रत्येक भाषा के लिपि-चिह्न अलग-अलग होते हैं तथा उन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे हिंदी संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है। इसी प्रकार अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन, पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी और उर्दू भाषा की लिपि फ़ारसी है।
कुछ प्रसिद्ध भाषाएँ एवं उनकी लिपियों के नाम इस प्रकार हैं-

भाषा

लिपि

हिंदी, संस्कृत, मराठी
पंजाबी
उर्दू, फ़ारसी
अरबी
बंगला
रूसी
अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश

देवनागरी
गुरुमुखी
फ़ारसी
अरबी
बंगला
रूसी
रोमन

भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं; जैसे-हिंदी, संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, कश्मीरी, बंगला, उड़िया, तेलुगु, असमिया, सिंधी, गुजराती, बोडो, डोगरी, मैथिली, कन्नड़, संथाली, मणिपुरी, कोंकणी, संथाली, मलयालम, नेपाली, मराठी। इस प्रकार अब भारत में निम्नलिखित 22 (बाईस) भाषाएँ प्रचलित हैं।

संस्कृत भाषा से ही हिंदी भाषा का जन्म हुआ है। 14 सितंबर, 1949 को हिंदी संविधान में भारत की राजभाषा स्वीकार की गई।

भारत के अधिकांश हिस्सों में यही भाषा बोली और समझी जाती है। हिंदी भाषा की पाँच उपभाषाएँ हैं।

उपभाषा

बोली

1. पूर्वी हिंदी
2.
राजस्थानी हिंदी
3.
पहाड़ी हिंदी
4.
पश्चिमी हिंदी
5.
बिहारी हिंदी

अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी
जयपुरी, मारवाड़ी, मेवाती, मालवी
गढ़वाली, कुमाउँनी, हिमाचली
खड़ीबोली, हरियाणवी, कन्नौजी, ब्रज भाषा
भोजपुरी, मैथिली, मगही।

बोली  सीमित क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषा के रूप को बोली कहा जाता है अर्थात स्थानीय व्यवहार में अल्पविकसित रूप में प्रयुक्त होने वाली भाषा बोली कहलाती है। बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता।
व्याकरण  भाषा को शुद्ध रूप में लिखना, पढ़ना और बोलना सिखाने वाला शास्त्र व्याकरण कहलाता है।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. भाषा कहते हैं
(i)
भावों के आदान-प्रदान के साधन को
(ii)
लिखने के ढंग को
(iii)
भाषण देने की कला को
(iv)
इन सभी को

2. लिपि कहते हैं।
(i)
भाषा के शुद्ध प्रयोग को
(ii)
मौखिक भाषा को
(iii)
भाषा के लिखने की विधि को
(iv)
इन सभी को

3. बोलकर भाव एवं विचार व्यक्त करने वाली भाषा को ____ कहते हैं?
(i)
सांकेतिक भाषा
(ii)
लिखित भाषा
(iii)
मौखिक भाषा
(iv)
वैदिक भाषा

4. लिखित भाषा का अर्थ है
(i)
लिपि को समझना
(ii)
विचारों का लिखित रूप
(iii)
किसी के समक्ष लिखकर विचार देना
(iv)
विचारों को बोल-बोलकर लिखना

5. हिंदी भाषा की उत्पत्ति किस भाषा से हुई?
(i)
अंग्रेजी
(ii)
फ्रेंच
(iii)
उर्दू
(iv)
संस्कृत

6. संविधान में कितनी भाषाओं को मान्यता प्राप्त है
(i)
बीस
(ii)
इक्कीस
(iii)
बाईस
(iv)
पच्चीस

7. हिंदी भाषा की ____ उपभाषाएँ हैं
(i)
दो।
(ii)
चार
(iii)
पाँच
(iv)
सात

8. भाषा के क्षेत्रीय रूप को कहते हैं
(i)
लिपि
(ii)
उपभाषा
(iii)
बोली
(iv)
विभाषा

9. भाषा के लिखित रूप प्रदान के लिए निर्धारित चिह्न कहलाते हैं
(i)
लिखित भाषा
(ii)
उपभाषा
(iii)
लिपि
(iv)
बोली

10. भाषा का उद्गम हुआ है
(i)
विचारों के आधार पर
(ii)
लिपि के आधार पर
(iii)
ध्वनियों के आधार पर
(iv)
आवश्यकताओं के आधार पर

उत्तर-
1. (i)
2. (iii)
3. (iii)
4. (ii)
5. (iv)
6. (iii)
7. (iii)
8. (iii)
9. (iii)
10. (iii)

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar वर्ण-विचार

बोलते समय हम जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं। वही ध्वनियाँ वर्ण या अक्षर कहलाती हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इस प्रकार-

वर्ण उस ध्वनि को कहते हैं जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते।

लिखित भाषा में प्रयुक्त किए जाने वाले वर्ण प्रत्येक भाषा में अलग-अलग होते हैं। हिंदी भाषा में इन वर्गों की कुल संख्या चवालीस (44) है।
वर्णमाला  वर्गों की माला यानी वर्णमाला। वर्गों के व्यवस्थित रूप को वर्णमाला कहते हैं।
हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं।
वर्ण के दो भेद हैं
CBSE Class 6 Hindi Grammar वर्ण-विचार 1
स्वर वर्ण जिस वर्ण के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता लेनी पड़े उसे स्वर वर्ण कहते हैं।
CBSE Class 6 Hindi Grammar वर्ण-विचार 2
स्वर के तीन भेद होते हैं-

कंप्यूटर विज्ञान ऑनलाइन पाठ्यक्रम

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स्वर

ह्रस्व स्वर

दीर्घ स्वर

प्लुत स्वर

1.     ह्रस्व स्वर इनके उच्चारण में सबसे कम समय लगता है। ये चार हैं-, , , ऋ।

2.     दीर्घ स्वर-इनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों के उच्चारण से दुगुना समय लगता है। ये सात हैं-, , , , , , औ।।

3.     प्लुत स्वर इनके उच्चारण में ह्रस्व और दीर्घ स्वरों के उच्चारण से तिगुना समय लगता हैं जैसे-ओऽम्। प्लुत स्वर एक ही है।

अनुस्वार  अं-(ां) वर्ण भी स्वरों के बाद ही आता है। इसका उच्चारण नाक से किया जाता है। इसका उच्चारण जिस वर्ण के बाद होता है, उसी वर्ण के सिर पर (ां) बिंदी के रूप में इसे लगाया जाता है; जैसे-रंग, जंगल, संग, तिरंगा आदि।
अनुनासिक  इसका उच्चारण नाक और गले दोनों से होता है; जैसेचाँद, आँगन, आदि इसका चिह्न () होता है।
अयोगवाह  हिंदी व्याकरण में अनुस्वार (अं) एवं विसर्ग (:) को अयोगवाहके रूप में जाना जाता है।
व्यंजन वर्ण के तीन भेद होते हैं।
व्यंजन  जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, वे व्यंजन कहलाते हैं।

व्याकरण पुस्तकें

कवर्ग

चवर्ग

ड़

ढ़

टवर्ग

तवर्ग

पवर्ग

अंत:स्थ

ऊष्म

 

व्यंजन

1. स्पर्श व्यंजन

2. अंतस्थ व्यंजन

3. ऊष्मे व्यंजन

1.     स्पर्श व्यंजन – 25

2.     अंतस्थ व्यंजन – 4

3.     ऊष्म व्यंजन – 4

1. स्पर्श व्यंजन  ‘स्पर्शयानी छूना। जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या ओठों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। क् से लेकर म् तक 25 स्पर्श व्यंजन हैं।
वर्ग का उच्चारण स्थल कंठ है। ते वर्ग का उच्चारण स्थल दाँत है।


2.
अंतस्थ व्यंजन  अंत = मध्य या (बीच, स्थ = स्थित) इन व्यंजनों का उच्चारण स्वर तथा व्यंजन के मध्य का-सा होता है।


(
उच्चारण के समय जिह्वा मुख के किसी भाग को स्पर्श नहीं करती) ये चार हैं, , , वे।।
3.
ऊष्म व्यंजन  ऊष्म-गरम। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से रगड़ खाकर ऊष्मा पैदा करती है यानी उच्चारण के समय मुख से गरम हवा निकलती है। ये चार हैं-, , , ह।

स्वरों की मात्राएँ-
प्रत्येक स्वरों के लिए निर्धारित चिह्न मात्राएँ कहलाती हैं। स्वर के अतिरिक्त सभी स्वरों के मात्रा चिह्न होते हैं। स्वरों के चिह्न मात्रा के रूप में व्यंजन वर्ण से जुड़ते हैं।
जैसे-

विसर्ग (:)  इस ध्वनि को चिह्न (:) है। इसका उच्चारण की भाँति किया जाता है। विसर्ग का प्रयोग तत्सम शब्दों (संस्कृत से आए) में ही किया जाता है; जैसे-अतः, प्रातः, अंततः आदि।
आगत ध्वनि   यानी अर्धचंद्र, अंग्रेजी भाषा के शब्दों को लिखते समय प्रयोग किया जाता है; जैसे डॉक्टर, कॉफ़ी, टॉफ़ी, बॉल आदि।
संयुक्त वर्ण  वर्गों का मेल वर्ण संयोग कहलाता है। इन वर्षों के अलावा हिंदी भाषा में कुछ संयुक्त वर्गों का भी प्रयोग किया जाता है। ये वर्ण हैं-क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।।
जैसे-
क् + = क्ष भिक्षा, क्षमा
त् + = त्र त्रिशूल, त्रिभुज
श् + = श्र श्रमिक, विश्राम
ज् + = ज्ञ संज्ञा, विज्ञान

बहुविकल्पी प्रश्न

1. वर्ण कहते हैं
(i)
भाषा एवं उसके रूपों को
(ii)
भाषा की सबसे छोटी ध्वनि को
(iii)
रंग को
(iv)
शब्दों को

2. स्वर कहते हैं
(i)
स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्षों को
(ii)
भाषा की सबसे छोटी ध्वनि को
(iii)
छह वर्षों से बने शब्दों को
(iv)
इन सभी को

3. व्यंजन कहते हैं
(i)
स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्षों को
(ii)
स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्षों को
(iii)
विदेशी वर्गों को
(iv)
इनमें से कोई भी नहीं

4. संयुक्त व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं
(i)
दो
(ii)
तीन
(iii)
चार
(iv)
पाँच

5. हिंदी वर्णमाला में व्यंजन वर्गों की संख्या होती है
(i)
चालीस
(ii)
बयालीस
(iii)
चवालीस
(iv)
तैंतीस

6. हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या होती है
(i)
नौ
(ii)
दस
(iii)
ग्यारह
(iv)
तेरह

7. , , , व्यंजन कहलाते हैं
(i)
ऊष्म
(ii)
अंतस्थ
(iii)
अनुस्वार
(iv)
अनुनासिक

8. इनमें कौन-सा अयोगवाह है?
(i)
क्
(ii)

(iii)
अं
(iv)
म्

9. इनमें से कौन-सा ऊष्म व्यंजन है?
(i)

(ii)

(iii)

(iv)
म्

10. विसर्ग का उच्चारण किस प्रकार होता है?
(i) ‘
की भाँति
(ii) ‘
की भाँति
(iii) ‘
की भाँति
(iv) ‘
की भाँति

उत्तर-
1. (ii)
2. (i)
3. (ii)
4. (iii)
5. (iv)
6. (iv)
7. (ii)
8. (iii)
9. (i)
10. (ii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar शब्द-विचार

मनुष्य को अपने मन के भाव/विचार प्रकट करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। भाषा वाक्यों के मेल से बनती है और वाक्य शब्दों के मेल से बनते हैं। शब्द वर्गों के सार्थक मेल से बनते हैं। इस प्रकार वर्गों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं;
जैसे पुस्तक, कमल, रतन।

शब्दों का वर्गीकरण चार प्रकार से किया जाता है।

1.     अर्थ के आधार पर

2.     विकार के आधार पर

3.     उत्पत्ति के आधार पर

4.     बनावट के आधार पर

1. अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं
शब्द सार्थक शब्द, निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द जिन शब्दों का कोई अर्थ निकलता है तो उसे सार्थक शब्द कहते हैं; जैसे-घर, कमल, नेहा, आयुष
निरर्थक शब्द जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं निकलता है उसे निरर्थक शब्द कहते हैं; जैसे-हमल, लमक, इत्यादि।

भाषा कक्षाएं

2. विकार/प्रयोग के आधार पर शब्द भेद-प्रयोग के आधार पर हम शब्दों को दो वर्गों में बाँटते हैं।

·         विकारी शब्द

·         अविकारी शब्द

विकारी शब्द  विकार यानी परिवर्तन। ये शब्द जिसमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण विकार (परिवर्तन) जाता है।
उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। विकारी शब्द के चार भेद होते हैं।

·         संज्ञा

·         सर्वमान

·         विशेषण

·         क्रिया

अविकारी शब्द   + विकारी यानी जिसमें परिवर्तन हो, ऐसे शब्द जिनमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं।

·         क्रियाविशेषण

·         संबंध बोधक

·         समुच्चय बोधक

·         विस्मयादि बोधक

3. उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को चार भागों में बाँट सकते हैं।

·         तत्सम शब्द

·         तद्भव शब्द

·         देशज शब्द

·         विदेशी शब्द

(i) तत्सम शब्द  तत्सम शब्द तत् + समशब्द से मिलकर बना है। तत् का अर्थ है उसके तथा सम का अर्थ है समान यानी उसके समान। संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में लाए जाते हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे-दुग्ध, रात्रि, जल, कवि, गुरु, फल आदि।
(ii)
तद्भव शब्द  यह शब्द तद + भवशब्द से बना है। इसका अर्थ है-उससे पैदा हुआ। ये शब्द संस्कृत शब्दों के रूप में कुछ बदलाव के साथ हिंदी भाषा में प्रयोग होते हैं। जैसे-दही, दधि, साँप (सर्प) गाँव (ग्राम) सच (सत्य) काम (कार्य) पहला (प्रथम) आदि।


(iii)
देशज शब्द  ‘देशजअर्थात देश में उत्पन्न। ये शब्द भारत के विभिन्न क्षेत्रों से तथा आम बोलचाल की भाषा से लिए गए हैं। जैसेखिचड़ी, जूता, पैसा, डिबिया, पगड़ी आदि।
(iv)
विदेशी शब्द  दूसरे देशों की भाषाओं से हिंदी में आए शब्द विदेशीशब्द कहलाते हैं। जैसे-रेडियो, लालटेन, स्टेशन, स्कूल, पादरी, जमीन, बंदूक, सब्जी, इनाम, खते, कलम, आदमी, वकील, सौगात, रूमाल, तौलिया, कमरा आदि।

हिन्दी ऑनलाइन पाठ्यक्रम

बनावट के आधार पर शब्द भेद बनावट के आधार पर शब्द-भेद तीन प्रकार के होते हैं

·         रूढ़ शब्द

·         यौगिक शब्द

·         योगरूढ़ शब्द

(i) रूढ़ शब्द  वे शब्द जो परंपरा से किसी व्यक्ति, स्थान वस्तु या प्राणी आदि के लिए प्रयोग होते चले रहे हैं, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। इन शब्दों के खंड करने पर इनका कोई अर्थ नहीं निकलता यानी खंड करने पर ये शब्द अर्थहीन हो जाते हैं; जैसे-घोड़ा, पुस्तक, मेज़, पर इत्यादि।
(ii)
यौगिक शब्द  ये शब्द दो शब्दों के योग से बनते हैं। योगका अर्थ होता है जोड़। अतः दो शब्दों के जोड़ से बने ऐसे शब्द, जो सार्थक होते हैं-यौगिक शब्द कहलाते हैं। इनके टुकड़े किए जा सकते हैं; जैसे-पुस्तकालय, शिवालय, महेश आदि।


(iii)
योगरूढ़ शब्द  जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने हों और उनके विशेष अर्थ निकलें वे योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं; जैसे
(
) पंकज = पंक (कीचड़) जन्मा अर्थात कमलजिसका जन्म कीचड़ से हुआ है। अतः ये योगरूढ़ शब्द हैं। नीला + कंठ = नीलकंठ (नीले कंठवाला अर्थात शिव)

बहुविकल्पी प्रश्न

1. शब्द कहते हैं
(i)
वर्गों के समूह को
(ii)
वर्गों के सार्थक मेल को
(iii)
वाक्य में प्रयोग किए गए शब्दों को
(iv)
इन सभी को

2. विकार के आधार पर शब्दों के भेद कितने होते हैं?
(i)
दो
(ii)
तीन
(iii)
चार
(iv)
पाँच

3. कौन सा शब्द तद्भव नहीं है
(i)
कुम्हार
(ii)
पिंजरा
(iii)
हाथी
(iv)
मयूर

4. प्रयोग के आधार पर शब्द होते हैं
(i)
पाँच
(ii)
दो
(iii)
तीन
(iv)
चार

5. तद्भव शब्द कहते हैं
(i)
जो संस्कृत से कुछ बदलकर हिंदी में आते हैं।
(ii)
जो हिंदी से कुछ बदलकर संस्कृत में आते हैं।
(iii)
जो विदेशी भाषाओं के लिए आते हैं।
(iv)
जो दो भाषाओं से मिलकर बनते हैं।

6. ‘मनुष्यशब्द उत्पत्ति के आधार पर किस तरह का शब्द है ?
(i)
तत्सम
(ii)
देशज
(iii)
तद्भव
(iv)
आगत

7. इनमें कौन सा शब्द रूढ़ शब्द है?
(i)
पाठशाला
(ii)
पंकज
(iii)
पुस्तक
(iv)
पुस्तकालय

8. उत्पत्ति के आधार पर शब्द कितने प्रकार के होते हैं?
(i)
तीन
(ii)
दो
(iii)
चार
(iv)
पाँच

9. यौगिक शब्दों की विशेषता है
(i)
दो शब्द एक दूसरे पर निर्भर होते हैं।
(ii)
यौगिक और रूढ़ दोनों होते हैं।
(iii)
रूढ़ होते हैं।
(iv)
दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बनते हैं।

उत्तर-
1. (ii)
2. (ii)
3. (iii)
4. (ii)
5. (ii)
6. (i)
7. (iii)
8. (iii)
9. (iv)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar संज्ञा

जिस शब्द के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान अथवा भाव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते हैं; जैसे-आयुष, नेहा, गाजियाबाद, पुस्तक, बुढ़ापा, ईमानदारी, गरमी इत्यादि।
संज्ञा के तीन भेद होते हैं

1.     व्यक्तिवाचक

2.     जातिवाचक

3.     भाववाचक

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संज्ञा की किताब

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा  जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम का पता चले, वे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-जवाहर लाल नेहरू, अमिताभ बच्चन, नरेंद्र मोदी, बाइबिल, कुरान, रामायण, महाभारत, रूस, अमेरिका, दिल्ली, पंजाब आदि शब्द विशेष व्यक्ति, वस्तु और स्थान की ओर संकेत कर रहे हैं। इसलिए ये व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।

2. जातिवाचक संज्ञा  जो शब्द किसी प्राणी, वस्तु या स्थान की पूरी जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-चिड़िया, पुस्तक, पहाड़, अध्यापक, फूल, आदि।
अन्य उदाहरण शेर, चीता, हाथी, तोता, कोयल, मोर, घोड़ा, नदी, सागर, पुस्तक, मेज, आदि।

3. भाववाचक संज्ञा  वे संज्ञा शब्द जिनसे प्राणी या वस्तु के गुण, दोष, अवस्था, दशा आदि का ज्ञान होता है, वे भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-मिठास, बुढ़ापा, थकान, गरीबी, हँसी, साहस, वीरता आदि शब्द भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये भाववाचक संज्ञाएँ हैं।

इन्हें जानें।

एनसीईआरटी समाधान

संज्ञा की किताब

·         भाववाचक संज्ञाएँ सामान्यतः महसूस की जाती हैं और अगणनीय (जिन्हें गिना जा सके) होती हैं। इनका प्रयोग सदैव एकवचन में होता है।

·         जातिवाचक संज्ञाएँ गणनीय होती हैं। कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में किया जाता है। जैसे-हमारे देश में रावणों की कमी नहीं है।
हिंदी भाषा में अंग्रेजी के प्रभाव में संज्ञा के दो और भेद स्वीकृत कर लिए गए हैं। ये हैं-
द्रव्यवाचक संज्ञा, समूहवाचक संज्ञा

4. द्रव्यवाचक संज्ञा  जो संज्ञा शब्द किसी धातु, द्रव्य, पदार्थ आदि का बोध कराते हैं, वे द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-सोना, लोहा, घी, तेल, दूध, चाँदी, आटा, चीनी, चावल, आदि।

5. समूहवाचक संज्ञा  जिन संज्ञा शब्दों से एक ही जाति के व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह का बोध होता है, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-सेना, परिवार, दल, संघ, समूह, गुच्छा आदि शब्द एक ही जाति अथवा वस्तु के समूह का बोध कराते

संज्ञा की किताब

भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण

जातिवाचक संज्ञा से
वीर वीरता
मित्र मित्रता
पशु पशुता
मधुर मधुरता
कायर कायरता
शत्रु शत्रुता
बूंढा बुढ़ापा
साधु साधुता
लड़का लड़कपन

संज्ञा की किताब

विशेषण से
मुधर मधुरता
मीठा मिठास
कठोर कठोरता
प्यासा प्यास
नम्र नम्रता
कुशल कुशलता
सफ़ेद सफ़ेदी
सरस सरलता
अच्छी अच्छाई
गरीब गरीबी
लंबी लंबाई
भूखा भूख
दुष्ट दुष्टता
गहरा गहराई
आलसी आलस्य
गहरा गहराई
कटु कटुता

क्रिया से
उड़ना उड़ान
हँसना हँसी
झुकना झुकाव
काटना कटाई
दौड़ना दौड़
खोजना खोज
झुकना झुकाव
घबराना घबराहट
दौड़ना दौड़
हँसना हँसी
हारना हार
गिरना गिरावट
मारना मार
हँसना हँसी
पढ़ना पढ़ाई
पीटना पिटाई
मिलाना मिलावट

सर्वनाम से
मम ममता
आप आपा
स्व स्वत्व
पराया परायापन
सर्व सर्वस्व
अप अपनत्व/अपनापन
हारना हार
अहं अहंकार

बहुविकल्पी प्रश्न

1. संज्ञा कहते हैं
(i)
विशेषता बताने वाले शब्दों को
(ii)
किसी प्राणी, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को
(iii)
तीन अक्षर से बने शब्दों को
(iv)
इनमें किसी को भी नहीं

संज्ञा की किताब

2. संज्ञा के भेद होते हैं?
(i)
दो
(ii)
चार
(iii)
पाँच
(iv)
सात

3. जो शब्द किसी जाति का बोध कराए उसे कहते हैं
(i)
व्यक्तिवाचक संज्ञा
(ii)
जातिवाचक संज्ञा
(iii)
भाववाचक संज्ञा
(iv)
द्रव्यवाचक संज्ञा

4. व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ बोध कराती हैं?
(i)
किसी विशेष भाव का
(ii)
किसी विशेष जाति का
(iii)
विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का
(iv)
दिए गए सभी

संज्ञा की किताब

5. ‘तरल पदार्थकहलाते हैं
(i)
समूहवाचक संज्ञा
(ii)
द्रव्यवाचक संज्ञा
(iii)
भाववाचक संज्ञा
(iv)
जातिवाचक संज्ञा

6. व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द इनमें कौन सा है?
(i)
छात्र
(ii)
बचपन
(iii)
मिठास
(iv)
हिमालय

संज्ञा की किताब

7. ‘लड़काशब्द से बना भाववाचक संज्ञा कौन सा शब्द है?
(i)
लड़कों ने
(ii)
लड़के
(iii)
लड़कपन
(iv)
लड़का

संज्ञा की किताब

संज्ञा की किताब

8. भाववाचक संज्ञा किन शब्दों से बनती है?
(i)
सर्वनाम से
(ii)
क्रिया से
(iii)
विशेषण से
(iv)
उपर्युक्त सभी से

9. भाववाचक संज्ञाएँ कितने प्रकार के शब्दों से बनती हैं ?
(i)
तीन
(ii)
चार
(iii)
दो
(iv)
पाँच

10. समुदाय संज्ञा की विशेषता है
(i)
किसी एक का बोध करवाती है।
(ii)
किसी एक समुदाय का बोध करवाती है।
(iii)
किसी विशेष जाति का बोध करवाती है।
(iv)
किसी विशेष भावना का बोध करवाती है।

संज्ञा की किताब

उत्तर-
1. (ii)
2. (iii)
3. (ii)
4. (iii)
5. (ii)
6. (iv)
7. (iii)
8. (iv)
9. (ii)
10. (ii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar संज्ञा के विकार

जो शब्द संज्ञा में विकार या परिवर्तन लाते हैं, वे विकारी तत्व कहलाते हैं। लिंग, वचन तथा कारक के कारण संज्ञा का रूप बदल जाता है।
लिंग संज्ञा शब्द के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं।

लिंग के भेद
हिंदी भाषा में लिंग के दो भेद होते हैं

CBSE Class 6 Hindi Grammar संज्ञा के विकार

पुल्लिंग  जिन संज्ञा शब्दों से पुरुष जाति का बोध होता है वे पुल्लिंग कहलाते हैं; जैसे-बैल, पिता, घोड़ा, स्टेशन, अखबार, पेड़, घर आदि।
स्त्रीलिंग  जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति का बोध होता है, वे स्त्रीलिंग कहलाते हैं; जैसे-सेठानी, चिड़िया, मेज, कुरसी, टोकरी, लोमड़ी, दादी, मोरनी, अध्यापिका आदि।
हिंदी भाषा के सही प्रयोग के लिए संज्ञा शब्दों के लिंग का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि संज्ञा शब्दों के लिंग का प्रभाव सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा क्रियाविशेषण; जैसे

सर्वनाम पर
(
पुल्लिंग) अपना कमरा खोलो।
(
स्त्रीलिंग) अपनी कोठरी खोलो।

विशेषण पर
(
पुल्लिंग) मुझे नीला पेंट चाहिए।
(
स्त्रीलिंग) मुझे नीली साड़ी चाहिए।

क्रिया पर
(
पुल्लिंग) लड़का दौड़ा।
(
स्त्रीलिंग) लड़की दौड़ी।

क्रियाविशेषण पर
(
पुल्लिंग) आयुष दौड़ता हुआ आया
(
स्त्रीलिंग) नेहा दौड़ती हुई आई।

लिंग पहचान के कुछ सामान्य नियम

पुल्लिंग शब्दों की पहचान कुछ शब्द प्रायः पुल्लिंग होते हैं; जैसे
देशों के नाम भारत, चीन, अमेरिका, फ्रांस, जापान आदि।


पेड़ों के नाम आम, केला, संतरा, अमरूद, आदि। (अपवाद, इमली)


पर्वत के नाम हिमालय, कंचनजंगा, एवरेस्ट, फूजीयामा आदि।
ग्रहों के नाम मंगल, सूर्य, चंद्र, राहु, केतु, शनि, बुध आदि (अपवादपृथ्वी, स्त्रीलिंग)
दिनों के नाम सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।
महीनों के नाम फरवरी, मार्च, चैत्र, बैशाख आदि। (अपवाद-जनवरी, मई, जुलाई स्त्रीलिंग)
सागर के नाम हिंद महासागर, प्रशांत महासागर।
शरीर के अंग बाल, सिर, कान, गाल, होठ आदि।
भाववाचक संज्ञा प्रेम, बुढ़ापा, क्रोध, आनंद, दुख आदि।
धातुओं के नाम ताँबा, लोहा, सोना, राँगा इत्यादि।
अकारांत शब्द शेर, लेखक, पर्वत, पत्र आदि।
स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान निम्नलिखित शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं
भाषाओं के नाम हिंदी, अंग्रेज़ी, रूसी, जापानी आदि।
नदियों के नाम गंगा, यमुना, सरस्वती, सरयू आदि।
बोलियों के नाम हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रजभाषा आदि।
ईकारांत शब्द नदी, पोथी, रोटी, मिठाई, लाठी आदि।
अकारांत शब्द प्रार्थना, आशा, कला, परीक्षा, आदि।
तिथियों के नाम पूर्णिमा, अष्टमी, चतुर्थी, तीज आदि।
उकारांत शब्द आयु, ऋतु

लिंग बदलने के कुछ नियम
शब्दों में विभिन्न प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग शब्दों में परिवर्तित किया जाता है।

को करके

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

छात्र
शिष्य
प्रिय
अध्यक्ष
आदरणीय

छात्रा
शिष्या
प्रिया
अध्यक्षा
आदरणीया

आचार्य
बाल
मूर्ख
कमल
आत्मज

आचार्या
बाला
मूर्खा
कमला
आत्मजा

’ ‘को करके

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

दादा
बेटा
नाना
पुत्र
नर
कबूतर
बूढ़ा

दादी
बेटी
नानी
पुत्री
नारी
कबूतरी
बूढ़ी

लड़का
घोड़ा
दास
साला
सखा
काला
गोरा

लड़की
घोड़ी
दासी
साली
सखी
काली
गोरी

’ ‘को इयाकरके 

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

लोटा
डिब्बा
खाट

लुटिया
डिबिया
खटिया

 बूढ़ा
चूहा
कुत्ता

बुढ़िया
चूहिया
कुतिया

इसके अलावा अंत में के स्थान पर आनी लगाकर जैसे

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

सेठ
देवर

सेठानी
देवरानी

जेठ

जेठानी

अंत में आइनलगाकर जैसे

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

बाबू
पंडित

बबुआइन
पंडिताइन

ठाकुर
चौधरी

ठकुराइन
चौधराइन

अंत में इकालगाकर जैसे

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

सेवक
नायक

सेविका
नायिका

पाठक
गायक

पाठिका
गायिका

अंत में इनजोड़कर

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

सुनार
तेली
माली

सुनारिन
तेलिन
मालिन

नाग
कहार

नागिन
कहारिन

इकारांत शब्दों में को में बदलकर उसमें णीया नीलगाकर जैसे

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

अधिकारी
ब्रह्मचारी

अधिकारणी
ब्रह्मचारिणी

सहकारी
मेधावी

सहकारिणी
मेधाविनी

कुछ सर्वथा भिन्न रूप

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुल्लिंग

स्त्रीलिंग

पुरुष
राजा
पिता
गाय
कवि

स्त्री
रानी
माता
बैंस
कवयित्री

युवक
विद्वान
बाप
वर
वीर

युवती
विदुषी
माँ
वधू
वीरांगना

बहुविकल्पी प्रश्न

1. लिंग कहते हैं
(i)
पुरुष या स्त्री जाति का बोध कराने वाले शब्द रूप को
(ii)
पहचान को
(iii)
विशेष चिह्न को
(iv)
उपर्युक्त सभी

2. हिंदी में लिंग कितने प्रकार के होते हैं
(i)
तीन-पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग
(ii)
दो-स्त्रीलिंग, पुल्लिंग
(iii) (i)
(ii) दोनों
(iv)
इनमें से कोई नहीं

3. स्त्री जाति का बोध करवाने वाले शब्द कहलाते हैं?
(i)
पुल्लिंग
(ii)
स्त्रीलिंग
(iii)
नपुंसकलिंग
(iv)
इनमें कोई नहीं

4. पुरुष जाति का बोध करवाने वाले शब्द कहलाते हैं
(i)
पुल्लिंग
(ii)
स्त्रीलिंग
(iii)
नित्य पुल्लिंग
(iv)
नपुंसकलिंग

5. ‘सोनाक्या है?
(i)
स्त्रीलिंग
(ii)
पुल्लिंग
(iii) (i)
और (ii) दोनों
(iv)
इनमें कोई नहीं

6. कवि शब्द का स्त्रीलिंग है
(i)
कविता
(ii)
कवयित्री
(iii)
कवयीत्री
(iv)
कवयत्री

7. ‘नेताशब्द का स्त्रीलिंग होता है
(i)
नेती
(ii)
नेत्री
(iii)
नेताजी
(iv)
मादा नेताजी

उत्तर-
1.(i)
2. (ii)
3. (ii)
4. (i)
5. (ii)
6. (ii)
7. (ii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar वचन

संज्ञा या सर्वनाम शब्द के जिस रूप से उसकी संख्या का पता चले, वह वचन कहलाता है।
वचन के भेद वचन दो प्रकार के होते हैं।
CBSE Class 6 Hindi Grammar वचन

 

1.     एकवचन संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु के एक होने का बोध होता है, उसे एक वचन कहते हैं; जैसे-कपड़ा, स्त्री, बकरी, पुस्तक, कीड़ा, पत्ता, पंखा आदि।

2.     बहुवचन संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु के एक से अधिक होने का बोध होता है, उसे बहुवचन कहते हैं; जैसे-लड़के, घोड़े, साड़ियाँ, नदियाँ, सड़कें आदि।

वचन बदलने के कुछ नियम

1. आकारांत पुल्लिंग शब्दों के अंतिम को और एँमें बदलने से बहुवचन बनता है; जैसे

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हिन्दी व्याकरण पुस्तकें

पंखा
लोटा
केले
माता
सूचना
कथा

पंखे
लोटे
केले
माताएँ
सूचनाएँ
कथाएँ

पुस्तक
हरा
किताब
कक्षा
लता
बालिका

पुस्तकें
हरे
किताबें
कक्षाएँ
लताएँ
बालिकाएँ

घोड़ा
छोटा
बहन
कामना
पुस्तक
कन्या

घोडे
छोटे
बहनें
कामनाएँ
पुस्तिकाएँ
कन्याएँ

2. इकारांत तथा ईकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में याँ जोड़ने तथा अंत के दीर्घ स्वर को ह्रस्व करने से बहुवचन हो जाता है; जैसे

स्त्री
पूरी
देवी
मछली
पत्ती
रोटी

एनसीईआरटी समाधान

रूपांतरण उपकरण

स्त्रियाँ
पूरियाँ
देवियाँ
मछलियाँ
पत्तियाँ
रोटियाँ

मकड़ी
कमी
छुट्टी
गली
साड़ी
नदी

मकड़ियाँ
कमियाँ
छुट्टियाँ
गलियाँ
साड़ियाँ
नदियाँ

नारी
रानी
रीति
कुरसी
टोपी
लिपि

नारियाँ
रानियाँ
रीतियाँ
कुरसियाँ
टोपियाँ
लिपियाँ

3. उकारांत तथा ऊकारांत शब्दों के अंत में भी एँजोड़ने तथा शब्द के अंत के दीर्घ स्वर को करने से; जैसे

वस्तु

वस्तुएँ

बहु

बहुएँ

धेनु

धेनुएँ

4. उकारांत, ऊकारांत तथा औकारांत शब्दों के अंत में एँजोड़कर भी बहुवचन बनाए जाते हैं।

वस्तु
गौ

वस्तुएँ
गौएँ

वधू
बहू

वधुएँ
बहुएँ

 धेनु
ऋतु

धेनुएँ
ऋतुएँ

5. ‘याशब्दांत वचन परिवर्तन के समय याँ हो जाता है। जैसे

गुड़िया
चुहिया
बछिया

गुड़ियाँ
चुहियाँ
बछियाँ

चिड़िया
बंदरिया

चिड़ियाँ
बंदरियाँ

बुढ़िया
खटिया

बुढ़ियाँ
खटियाँ

6. हिंदी भाषा में बहुत से बहुवचन, एकवचन के अंत में गण, वृंद, जन, वर्ग, दल, लोग आदि शब्द लगाकर भी बनाए जाते हैं। जैसे

हिन्दी व्याकरण पुस्तकें

कवि
विद्यार्थी
पक्षी
प्रिये
नर्तक
हम
कर्मचारी

कविगण
विद्यार्थीगण
पक्षीवृंद
प्रियजन
नर्तकदल
हमलोग
कर्मचारीगण

मुनि
पाठक
खग
मंत्री
अमीर
आप

मुनिगण
पाठकगण
खगवृंद
मंत्रीगण
अमीर लोग
आपलोग

शिक्षक
छात्र
गुरु
सैनिक
गरीब
मित्र

शिक्षकगण
छात्रगण
गुरुजन
सैनिक दल
गरीब लोग
मित्रगण

आदर प्रकट करने के लिए एकवचन संज्ञा के साथ बहुवचन क्रिया लगाई जाती है; जैसे-श्री राम पिता की आज्ञा से वन चले गए। बापू एक महान व्यक्ति थे। कुछ शब्द सदैव बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं।
जैसे दर्शनतुम्हारे दर्शन कब होंगे? लोग-लोग चले गए। कुछ शब्द सदैव एकवचन में प्रयुक्त होते हैं।
जैसे-जनता मैदान में खड़ी है। पानी-पानी बह रहा है।

विशेष  कुछ शब्द ऐसे भी हैं, जो एकवचन तथा बहुवचन में सदैव एक समान रहते हैं; जैसेहाथी, घर, आज, कल, दूध, पानी, घी, तेल, चाय आदि।
अगर शब्द-युग्म (जोड़े) दिए गए हों तो उनके बहुवचन बनाते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि दोनों शब्दों के वचन बदलकर केवल अंतिम शब्द का ही वचन-परिवर्तन होगा। जैसे-भाई, बहन (भाई-बहनों) भेड़-बकरी (भेड़-बकरियाँ)
इसी प्रकार अकारांत, तत्सम, आकारांत, इकारांत, उकारांत और ऊकारांत शब्द एकवचन और बहुवचन में समान रहते हैं;
जैसे-पर्वत, घर, कवि, मुनि, हाथी, साथी, भाई, साधु, चाँद, सूर्य, चंद्रमा, महात्मा, प्रभु, हार, डाकू आदि।
संबोधन कारक में जब किसी संज्ञा के साथ ने, को, से आदि परसर्ग लगे तो उनमें लगाकर बहुवचन बनाया जाता है। जैसे

बहनो एवं भाइयो, लड़के ने लड़कों ने
देवियो एवं सज्जनो, नदी को नदियों को वचन से वचनों से।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. संज्ञा-सर्वनाम की संख्या का बोध कराने वाले शब्द को कहते हैं
(i)
संख्याबोधक
(ii)
वचने
(iii)
गिनती
(iv)
ये सभी

2. वचन के भेद हैं
(i)
दो
(ii)
तीन
(iii)
चार
(iv)
पाँच

3. आँख शब्द का बहुवचन शब्द है
(i)
आँख
(ii)
आँखें
(iii)
आँखों
(iv)
अँखियाँ

4. ‘अध्यापिकाशब्द का बहुवचन है
(i)
अध्यापिकागण
(ii)
अध्यापिकावृंद
(iii)
अध्यापिकाएँ
(iv)
अध्यापिका जन

5. ‘आकाशशब्द है।
(i)
एकवचन
(ii)
सदा बहुवचन
(iii)
सदा एकवचन
(iv)
बहुवचन

उत्तर-
1. (ii)
2. (i)
3. (ii)
4. (iii)
5.(iii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar कारक

कारक का शाब्दिक अर्थ है-क्रिया को करने वालाअर्थात क्रिया को पूरी करने में किसी--किसी भूमिका को निभाने वाला। यानी अर्थपूर्ण बनाने वाला।
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया तथा वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संबंध का पता चलता है, उसे कारक कहते हैं।
कारक के भेद कारक के आठ भेद हैं

CBSE Class 6 Hindi Grammar कारक

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आइए, कारक चिह्नों के वाक्यों में प्रयोग के उदाहरण पर एक नज़र डालें

·         कर्ता (ने) अंशु ने बर्गर खाया।
कोहली ने शानदार दोहरा शतक लगाया।

·         कर्म (को) तुषार ने आयुष को पुस्तक दी।
श्रीकृष्ण ने कंस को मारा।

·         करण ( से/के द्वारा) माँ चाकू से फल काटती है।

·         संप्रदान (को, के लिए) मैं आपके लिए चाय बना रही हूँ।

·         अपादान (से) पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं।

·         अधिकरण (में, पर) मछली पानी में रहती है।

·         संबंध (का, की, के, रा, री, रे) यह आयुष का घर है।
नेहा के पिता लेखक है।

·         संबोधन (हे, अरे, )-हे! राम ये क्या हुआ? अरे! तुम कब आए?

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कारक, कारक चिह्न, परसर्गः

1.     कर्ता कारक  कर्ता का अर्थ होता है-करने वाला; जैसे-आयुष ने स्वर्ण पदक जीतकर विद्यालय का सक्मान बढ़ाया।
उपर्युक्त वाक्य में सम्मान बढ़ाने वाला आयुष है। अतः कर्ता वही है और इसका ज्ञान करा रहा हैने परसर्ग।
शब्द के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते हैं। जैसे-माँ ने खाना बनाया।

2.     कर्म कारक  शब्द के जिस रूप पर क्रिया का फल पड़े, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक का परसर्ग कोहोता है; जैसे-डाकिया ने ओजस्व को पत्र दिया।
कर्म की पहचान के लिए क्रिया के साथ क्या तथा किसको लगाकर प्रश्न करने पर, जो उत्तर. आता है वही कर्म होता है।

3.     करण कारक  कर्ता जिस साधन या माध्यम से कार्य करता है, उस साधन या माध्यम को करण कारक कहते हैं। करण कारक के परसर्ग सेके दुवारातथा के साथ होते हैं; जैसेओजस्व ने राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार पाया। मुझे जहाज़ से कोलकता जाना है। राधा दादी जी के साथ रह रही है।

4.     संप्रदान कारक  जहाँ कर्ता किसके लिए कार्य करता है या जिसे कुछ देता हैं उस भाव को बताने वाले शब्द को संप्रदान कारक कहते हैं। इस कारक के परसर्ग हैं-को, के लिए, हेतु। जैसेनेता जी ने गरीबों को कंबल बाँटे। पिता जी ओजस्व के लिए साइकिल लाए। बहनें अपनी रक्षा हेतु भाइयों को राखी बाँधती हैं।

5.     अपादन कारक  संज्ञा और सर्वनाम के जिस रूप से अलग होने, दूरी बताने, तुलना करने तथा सजाने आदि के भाव का पता चलता है, उसे अपादान कारक कहते हैं। अपादान कारक का परसर्ग से होता है। अपादान कारक की पहचान के लिए क्रिया के साथ कहाँ से, किससे लगाकर प्रश्न किया जाता है। फिर उसका उत्तर आता है, वह अपादान कारक होता है; जैसे-नेहा
सीमा से सुंदर है। बाघ शिकारी से डर गया। आयुष दुकान से चीनी लाया।

6.     संबंध कारक  संज्ञा के जिस रूप से दो संज्ञाओं अथवा सर्वनामों के आपसी संबंध का पता चलता है, वह संबंध कारक कहलाता है। संबंध कारक की पहचान के लिए अथवा सर्वनाम के साथ किसका, किसकी, किसके, किसने आदि शब्दों को लगाकर प्रश्न करके उसके उत्तर प्राप्त किए जाते हैं, वे ही उत्तर संबंध कारक कहलाते हैं, संबंध कारक के परसर्ग का, के, की, रा, रे, री,
ना, ने, नी आदि होते हैं; जैसेयह बस्ता ओजस्व का है। कल नेहा की शादी है। अंशु दादी जी के साथ स्कूल गई।

7.     अधिकरण कारक  संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के समय, स्थान, अवसर आदि का पता चलता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। अधिकरण कारक के परसर्ग मेंतथा परहोते हैं। अधिकरण कारक की पहचान के लिए वाक्य में क्रिया के साथ कहाँ लगाकर प्रश्न तथा उत्तर प्राप्त करने के लिए किया जाता है; जैसेपेड़ पर चिड़िया बैठी है। मेज़ पर अंशु की किताब रखी
है। थैले में फल हैं।

8.     संबोधन कारक  जिन संज्ञा शब्दों का प्रयोग किसी को बुलाने या पुकारने अथवा संबोधित करने के लिए किया जाता है, वे संबोधन कारक कहलाते हैं। संबोधन कारक में परसर्ग अरे, हे, आदि होते हैं। जैसे-अरे मोहन! यहाँ आना! हे वीरो! मातृभूमि की रक्षा करो।

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बहुविकल्पी प्रश्न

1. कारक की विभक्तियों का अन्य नाम है
(i)
काल
(ii)
चिह्न
(iii)
परसर्ग
(iv)
क्रिया

2. ‘का’ ‘की’ ‘केविभक्ति-चिह्न हैं
(i)
संबंध कारक के
(ii)
कर्म कारक के
(iii)
कर्ता कारक के
(iv)
संप्रदान कारक के

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3. कारक के भेद होते हैं
(i)
पाँच
(ii)
सात
(iii)
आठ
(iv)
नौ

4. रेखांकित में कारक के नाम बताइए–’पेड़ से पत्ते गिरते हैं।
(i)
करण कारक
(ii)
अपादान कारक
(iii)
संबंध कारक
(iv)
संप्रदान कारक

5. भिखारी को भीख दे दो
(i)
कर्मकारक
(ii)
करण कारक
(iii)
अपादान कारक
(iv)
संप्रदान कारक

6. बच्चा कुत्ते से डरता है
(i)
करण कारक
(ii)
कर्म कारक
(iii)
अपादान कारक
(iv)
कर्ता कारक

7. तुम्हारे घर सोना बरसेगा
(i)
कर्ता कारक
(ii)
अधिकरण कारक
(iii)
अपादन कारक
(iv)
कारण कारक

8. नेहामेरे लिए कॉफ़ी बनाने लगी। वाक्य में रेखांकित शब्द है
(i)
कर्ता कारक
(ii)
करण कारक
(iii)
संप्रदान कारक
(iv)
अपादान कारक

9. ‘चाय मेज़ पर रख देनारेखांकित शब्द कारक है
(i)
कर्ता कारक।
(ii)
अपादान कारक
(iii)
संबोधन कारक
(iv)
अधिकरण कारक

10. मोहन की पुस्तक मेरे पास है। रेखांकित शब्द कारक है।
(i)
संबंध कारक
(ii)
अधिकरण कारक
(iii)
अपादान कारक
(iv)
कर्म कारक

उत्तर-
1. (iii)
2. (ii)
3. (iii)
4. (ii)
5. (iv)
6. (iii)
7. (ii)
8. (iii)
9. (iv)
10. (i)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar सर्वनाम

सर्वनाम शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-सर्व + नाम। सर्व का अर्थ है सबका। अतः सर्वनाम का अर्थ है-सबका नाम।
जो शब्द संज्ञा शब्दों के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं, वे सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे-मैं, हम, तू, तुम, यह, वह, कोई, कुछ, कौन, क्या, सो आदि सर्वनाम शब्द हैं। अन्य सर्वनाम शब्द भी इन्हीं शब्दों से बने हैं, जो लिंग, वचन, कारक की दृष्टि से अपना रूप बदलते हैं।
सर्वनाम शब्द स्त्रीलिंग तथा पुल्लिंग दोनों में समान रहते हैं।
लड़का वह जा रहा है।
लड़की वह जा रही है।
सर्वनाम के एकवचन तथा बहुवचन रूप होते हैं।
एकवचन मैं, तुम, वह, यह, इसे, उसे
बहुवचन हम, आप, वे, ये, इन्हें, उन्हें।

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सर्वनाम शब्द के भेद

सर्वनाम के निम्नलिखित छह भेद होते हैं।

1.     पुरुषवाचक सर्वनाम

2.     निश्चयवाचक सर्वनाम

3.     अनिश्चयवाचक सर्वनाम

4.     संबंधवाचक सर्वनाम

5.     प्रश्नवाचक सर्वनाम

6.     निजवाचक सर्वनाम।

1. पुरुषवाचक सर्वनाम  जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाले, सुनने वाले या अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, वे पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे-मैं, तुम, वह आदि।
उदाहरण के रूप में

·         मैं सोने जा रहा हूँ।

·         तुम्हारा नाम क्या है?

·         वह कल जाएगा।

पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं

1.     उत्तम पुरुष मैं (बोलने वाला अपने लिए)

2.     मध्यम पुरुष तुम (सुनने वाले के लिए)

3.     अन्य पुरुष वह (अन्य सभी के लिए)

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(1) उत्तम पुरुष  सर्वनाम का वह रूप जिससे किसी बात को कहने वाले का बोध हो तो उसे उत्तम पुरुष कहते हैंतुम, | तू, आप, हम, मेरा, हमारा, हमें। जैसे-मैं कल जयपुर जाऊँगा। मुझे तुम्हारी पुस्तक चाहिए। हम घूमने जा रहे हैं। मुझे तुम्हारी घड़ी चाहिए।
(2)
मध्यम पुरुष  इस सर्वनाम शब्द का प्रयोग सुनने वाले श्रोता के लिए किया जाता है; जैसेतुम, तू, आप, तेरा, तुम्हारा। तुमसे कुछ काम है। तुम्हारे पिताजी क्या काम करते हैं।


(3)
अन्य पुरुष  जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाले और सुनने वाले व्यक्ति के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाए, उन्हें अन्य पुरुष कहते हैं; जैसे-वह, वे, उसे, उसका, उनके आदि।

·         उन्हें रोको मत, जाने दो।

·         वे फुटबॉल खेल रहे हैं।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम  जो सर्वनाम शब्द किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना की ओर संकेत करे, उसे निश्चियवाचक सर्वनाम कहते हैं। कुछ प्रमुख निश्चयवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं-वे, ये, यह, वह, इस, उस आदि।

·         वह मेरा घर है।

·         यह मेरी पेंसिल है।

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम  जो सर्वनाम शब्द किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध कराते हैं, वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे

·         दरवाज़े पर कोई खड़ा है।

·         दूध में कुछ गिरा है।

कुछ प्रमुख अनिश्चयवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं, किसी, किन्हीं, कुछ, कोई आदि।

4. संबंधवाचक सर्वनाम  वे सर्वनाम शब्द जो वाक्यों में आए दूसरे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से संबंध बताते हैं, वे संबंधवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे

·         जो करेगा, सो भरेगा।

·         जिसे चाहो, उसे बुला लो।

कुछ प्रमुख संबंधवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं-जिसनेउसने, जिसका उसका, जोसो आदि।

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम  जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग प्रश्न करने के लिए होता है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे

·         तुम क्या लाए हो?

·         दरवाजे पर कौन खड़ा है?

कुछ प्रमुख प्रश्नवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं-कहाँ, कौन, किसने, किसे, क्या, कब आदि।

6. निजवाचक सर्वनाम  जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग व्यक्ति अपने-आप के लिए करता है, वे निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे

·         मैं खुद ही चला जाऊँगा।

·         हमें अपना काम अपने-आप करना चाहिए।

कुछ प्रमुख निजवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं-अपने-आप, स्वयं, खुद आदि।

सर्वनाम शब्दों की रूप रचना

संज्ञा शब्दों की भाँति ही सर्वनाम शब्दों की भी रूप-रचना होती है। सर्वनाम शब्दों के प्रयोग के समय जब इनमें कारक चिह्नों का प्रयोग करते हैं, तो इनके रूप में परिवर्तन जाता है।

पुरुषवाचक सर्वनाम (मैं) ( उत्तम पुरुष)

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ता
कर्म
करण
संप्रदान
अपादान
संबंध
अधिकरण

मैं, मैंने
मुझ
मुझ से, मेरे द्वारा
मेरे लिए, मुझको, मुझे
मुझ से
मेरा, मेरे, मेरी
मुझमें, मुझ पर

हम, हमने
हमें
हमसे, हमारे द्वारा
हमारे लिए, हमसे, हमको
हमसे
हमारा, हमारे, हमारी
हममे, हम पर

नोट  सर्वनाम शब्दों में संबोधन कारक नहीं होता।

पुरुषवाचक सर्वनाम तू’ (मध्यम पुरुष)

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ता
कर्म
करण
संप्रदान
अपादान
संबंध
अधिकरण

तू, तूने
तुझे
तुमसे, तेरे द्वारा
तेरे लिए, तुझे
तुझसे
तेरा, तेरे, तेरी
तुझमें, तुझ पर

तुम, तुमने, तुम लोग, तुम लोगों ने
तुम्हें
तुम्हारे द्वारा, तुमसे
तुम्हारे लिए, तुम्हें
तुमसे
तुम्हारा, तुम्हारे, तुम्हारी
तुम में, तुम पर

पुरुषवाचक सर्वनाम वह’ (अन्य पुरुष)

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ता
कर्म
करण
संप्रदान
अपादान
संबंध
अधिकरण

वह, उसने
उसे, उसको
उससे, उसके द्वारा
उसको, उसके लिए, उसे
उससे
उसका, उसकी, उसके
उसने, उस पर

वे, उन्होंने, वे लोग, उन लोगों ने
उन्हें, उनको
उनसे, उनके द्वारा
उनके, उन्हें, उनके लिए
उनसे
उनका, उनकी, उनके
उनमें, उन पर

निश्चयवाचक सर्वनाम ( यह )

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ता
कर्म
करण
संप्रदान
अपादान
संबंध
अधिकरण

यह, इसने
इसे, इसको
इससे, इसके द्वारा
इसे, इसके लिए, इसको
इससे
इसका, इसकी, इसके
इनमें, इस पर

ये, इन्होंने
इन्हें, इनको
इनसे, इनके द्वारा
इन्हें, इनके लिए, इनको
इनसे
इनका, इनकी, इनके
इनमें, इन पर

अनिश्चयवाचक सर्वनाम ( कोई )

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ता
कर्म
करण
संप्रदान
अपादान
संबंध

कोई, किसी ने
किसी को
किसी से
किसी के लिए, किसी को
किसी से
किसी का, किसी को, किसी के

कोई, किन्हीं ने
किन्हीं को
किन्हीं से
किन्हीं के लिए, किन्हीं को
किन्हीं से
किन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के

प्रश्नवाचक सर्वनाम ( कौन )

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ता
कर्म
करण
संप्रदान
अपादान
संबंध
अधिकरण

कौन, किसने
किसे, किसको
किससे
किसको, किसके लिए, किसे
किससे
किसका, किसकी, किसके
किसमें, किस पर

कौन, किन्हीं ने
किन्हें, किनको, किनसे
किनसे
किनको,किनके लिए,किन्हें,किनसे
किनसे
किनका, किनकी, किनके
किनमें, किन पर

संबंधवाचक सर्वनाम (जो’)

कारक

एकवचन

बहुवचन

कर्ता
कर्म
करण
संप्रदान
अपादान
संबंध
अधिकरण

जो, जिसने
जिसे, जिसको
जिससे, जिसके द्वारा
जिसे, जिसको, जिसके लिए
जिससे
जिसका, जिसकी, जिसके
जिस पर, जिसमें

जो, जिन्होंने
जिन्हें, जिनको
जिनसे, जिनके द्वारा
जिन्हें, जिनको, जिनके लिए
जिनसे
जिनका, जिनकी, जिनके
जिन पर, जिनमें

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘कुछ’ ‘कोईशब्द उदाहरण है
(i)
निश्चयवाचक सर्वनाम के
(ii)
अनिश्चयवाचक सर्वनाम के
(iii)
पुरुषवाचक सर्वनाम के
(iv)
संबंधवाचक सर्वनाम के

2. ‘सर्वनाममें सर्व का अर्थ है
(i)
सर्वेश्वर
(ii)
सबका
(iii)
सर्वत्र
(iv)
इनमें कोई नहीं

3. सर्वनाम शब्द के भेद हैं
(i)
दो
(ii)
चार
(iii)
छह
(iv)
आठ

4. देखो कौनआया है? रेखांकित सर्वनाम का प्रकार बताइए।
(i)
निश्चयवाचक
(ii)
अनिश्चयवाचक
(iii)
प्रश्नवाचक
(iv)
संबंधवाचक

5. मोहन कुछ खो गया। वाक्य में रेखांकित सर्वनाम का प्रकार बताइए
(i)
निश्चयवाचक
(ii)
अनिश्चयवाचक
(iii)
संबंधवाचक
(iv)
पुरुषवाचक

6. इनमें अन्य पुरुष सर्वनाम कौन सा है?
(i)
उसका
(ii)
तुम्हारा
(iii)
हमारा
(iv)
हमें

7. इनमें उत्तम पुरुष सर्वनाम कौन सा है?
(i)
आप
(ii)
वह
(iii)
हम
(iv)
तुम

8. नेहा अपना काम स्वयं करती है।रेखांकित अंश का सर्वनाम भेद चुनिए।
(i)
पुरुषवाचक
(ii)
संबंधवाचक
(iii)
निश्चयवाचक
(iv)
निजवाचक

9. पुरुषवाचक सर्वनाम तूशब्द है
(i)
अन्य पुरुष
(ii)
उत्तम पुरुष
(iii)
मध्यम पुरुष
(iv)
इनमें कोई नहीं

10. जहाँशब्द है
(i)
संबंधवाचक सर्वनाम
(ii)
निश्चयवाचक सर्वनाम
(iii)
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
(iv)
इनमें कोई नहीं

उत्तर-
1. (ii)
2. (ii)
3. (iii)
4. (ii)
5. (ii)
6. (i)
7. (iii)
8. (iii)
9. (iii)
10. (iv)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar विशेषण

जो शब्द जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, वे विशेष्य कहलाते हैं; जैसेयह रंग-बिरंगी तितली है। नेहा ने सुंदर फ्रॉक पहनी है। पिता जी चार दर्जन केले लाए हैं। लाल सेब मीठे होते हैं।

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्दों पर यदि आप ध्यान दें तो आपको पता चलेगा कि वे सभी शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम के विषय में बता रहे हैं। ऊपर लिखे वाक्यों में रंग-बिरंगी, सुंदर, चार दर्जन, लाल, मीठे शब्द क्रमशः तितली, फ्रॉक, केले, सेब, शब्दों की विशेषता बता रहे हैं। अतः ये शब्द विशेषण हैं।

वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, विशेषण कहलाते हैं। विशेषण प्रायः विशेष्य से पहले लगाया जाता है, लेकिन कभी-कभी विशेष्य के बाद भी इसका प्रयोग होता है। जो विशेष्य के पहले लगाए जाते हैं उन्हें विशेष्य-विशेषण तथा जो बाद में लगाए जाते हैं, उन्हें विधेय विशेषण कहते हैं; जैसे-बच्चे शरारती हैं।

विशेषण के भेद  विशेषण के मुख्यतः चार भेद होते हैं
CBSE Class 6 Hindi Grammar विशेषण

1. गुणवाचक विशेषण  जो विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण दोष, रंग-रूप आदि के बारे में बताते हैं, वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे

·         लाल गुलाब बहुत सुंदर है।

·         आयुष आलसी लड़का है।

इन वाक्यों में लाल सुंदरशब्द फूल का गुण बता रहे हैं, तो आलसीशब्द आयुष का दोष बता रहा है। अतः वे शब्द गुणवाचक विशेषण के अंतर्गत आएँगे।

कुछ प्रमुख गुणवाचक विशेषण शब्द हैं
गुण-दोष भला, बुरा, अच्छा, झूठा, उदार, सुंदर।
रंग लाल, काला, पीला, चमकीला।।
दशा, अवस्था अमीर, गरीब, पतला, भारी, हलका
आकार बड़ा, छोटा, चौड़ा, तिकोना, मोटा

2. संख्यावाचक विशेषण  जो विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या की जानकारी दे, वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे
इस कतार में पाँच छात्र खड़े हैं। मेज़ पर चार केले रखे हैं।
इन वाक्यों में पाँच तथा चार क्रमशः छात्र तथा केले की संख्या के बारे में बता रहे हैं, अतः ये संख्यावाचक विशेषण हैं।
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं

·         निश्चित संख्यावाचक विशेषण

·         अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण।

(i) निश्चित संख्यावाचक विशेषण  जो विशेषण शब्द निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, वे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे

1.     मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।

2.     डाल पर दो चिड़ियाँ बैठी हैं।

इन दोनों वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध हो रहा है; जैसे
कक्षा में कितने छात्र हैं? चालीस।
डाल पर कितनी चिड़ियाँ बैठी हैं? दो।

(ii) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण  वे संज्ञा शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध कराते हों, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे-कुछ बच्चे, कम छात्र, कई घोड़े इत्यादि।

3. परिमाणवाचक विशेषण  जो विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की परिमाण अर्थात माप-तोल संबंधी जानकारी दें, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसेचार किलो चीनी। दो लीटर दूध। पाँच मीटर कपड़ा। परिमाणवाचक विशेषण को दो भागों में बाँटा गया है

·         निश्चित परिमाणवाचक

·         अनिश्चित परिमाणवाचक

(i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण  जो विशेषण शब्द निश्चित माप-तोल बताते हैं, वे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसेदो मीटर कपड़ा। एक लीटर दूध।
(ii)
अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण  जो विशेषण शब्द निश्चित माप-तोल नहीं बताते वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं; जैसे-थोड़ी चीनी, कुछ खिलौने आदि।

4. सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण  जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं; जैसेवह लड़की अच्छी है। वह पुस्तक मेरी है।
यहाँ, ‘यह’ ‘वहसार्वनामिक विशेषण है।

विशेषणों की तुलना  किसी व्यक्ति, वस्तु के गुण-दोष की तुलना अन्य व्यक्ति, वस्तु के साथ करने की अवस्था को विशेषण की तुलना कहते हैं। तुलना की दृष्टि से विशेषण की तीन अवस्थाएँ होती हैं।

. मूलावस्था . उत्तरावस्था . उत्तमावस्था

. मूलावस्था  किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के गुण दोष में जब विशेषणों का प्रयोग किया जाता है, तब वह विशेषण की मूलावस्था कहलाती है। जैसेवह एक अच्छा व्यक्ति है। बलवान आदमी। बुद्धिमान छात्र, ऊँचा भवन आदि।

. उत्तरावस्था अथवा तुलनावस्था  इसमें दो व्यक्ति, वस्तु अथवा प्राणियों के गुण-दोष बताते हुए उनकी आपस में तुलना की जाती है; जैसे

·         नेवला, साँप से अधिक बलशाली होता है।

·         ओजस्व आयुष से अच्छा है।

. उत्तमावस्था  इसमें दो से अधिक व्यक्तियों वस्तुओं की तुलना करके एक को सबसे अच्छा या बुरा बताया जाता है; जैसे-राम सबसे अच्छा लड़का है।
हिंदी में तुलनात्मक विशेषता बताने के लिए विशेषण शब्दों में तरतथा तमप्रत्यय लगाए जाते हैं; जैसे

मूलावस्था

उत्तरावस्था

उत्तमावस्था

उच्च
सुंदर
लघु
प्रिय
तीव्र
महान
श्रेष्ठ
अधिक
कोमल
न्यून
योग्य
चतुर अधिक

उच्चतर
सुंदरतर
लघुतर
प्रियतम
तीव्रतर
महतर
श्रेष्ठतर
अधिकतर
कोमलतर
न्यूनतर
योग्यतर
चतुर सबसे

उच्चतम
सुंदरतम
लघुतम
प्रियतर
तीव्रतम
महतम
श्रेष्ठतम
अधिकतम
कोमलतम
न्यूनतम
योग्यतम
अधिक चतुर

विशेषण शब्दों की रचना

हिंदी भाषा में विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि शब्दों के साथ उपसर्ग, प्रत्यय आदि लगाकर की जाती है।

संज्ञा से विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञा

विशेषण

संज्ञा

विशेषण

भारत
स्वर्ग
प्रांत
नमक
धन
शिव
दया
आदर
पृथ्वी
ईष्र्या
चलना
आगे
उत्साह

भारतीय
स्वर्गीय
प्रांतीय
नमकीन
धनी
शैव
दयालु
आदरणीय
पार्थिव
ईष्र्यालु
चालू
अगला
उत्साही

नीति
नाटक
ज्ञान
इच्छा
यश
पीछे
रंग
बल
ईश्वर
चरित्र
दुख
कर्म
बाहर

नैतिक
नाटकीय
ज्ञानी
इच्छुक
यशस्वी
पिछला
रंगीला
बलवान
ईश्वरीय
चरित्रवान
दुखी
कर्मठ
बाहरी

सर्वनाम से विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञा

विशेषण

संज्ञा

विशेषण

कोई
जो
कौन
वह

कोई-सा
जैसा
कैसा
वैसा

मैं
हम
तुम
यह

मेरा/मुझ-सा
हमारा
तुम्हारा
ऐसा

क्रिया से विशेषण शब्दों की रचना

संज्ञा

विशेषण

संज्ञा

विशेषण

भूलना
लूटना
भागना

भुलक्कड़
लुटेरा
भगौड़ा

लड़ना
पीनी

लड़ाकू
पियक्कड़

बहुविकल्पी प्रश्न

1. विशेषण कहलाते हैं
(i)
पर्यायवाची शब्द
(ii)
विशेष्य
(iii)
विपरीतार्थक शब्द
(iv)
संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द

2. जो संज्ञा या सर्वनाम के गुण-दोष, रंग-रूप के बारे में बताते हैं, वे कहलाते हैं
(i)
परिमाणवाचक
(ii)
संख्यावाचक
(iii)
गुणवाचक
(iv)
सार्वनामिक विशेषण

3. विशेषण शब्द जिन शब्दों की विशेषता बताते हैं उन्हें कहते हैं
(i)
विशेषण
(ii)
विशेष्य
(iii)
प्रतिविशेषण
(iv)
संज्ञा

4. विशेषण के भेद होते हैं
(i)
तीन
(ii)
चार
(iii)
पाँच
(iv)
छह

5. इनमें गुणवाचक विशेषण शब्द हैं
(i)
गोरा व्यक्ति
(ii)
दस रुपये
(iii)
दो मन अनाज
(iv)
यह कार

6. इस कक्षा में चालीस छात्र हैं। रेखांकित शब्द का भेद है
(i)
गुणवाचक
(ii)
परिमाणवाचक
(iii)
संकेतवाचक
(iv)
संख्यावाचक

7. इनमें संकेतवाचक विशेषण है
(i)
वह मकान
(ii)
दस मन गेहूँ
(iii)
बीस लड़के
(iv)
पंजाबी

8. इनमें परिमाणवाचक विशेषण शब्द है
(i)
दस लीटर दूध
(ii)
बीस गाय
(iii)
बंगाली
(iv)
यह घर

9. सार्वनामिक विशेषण का इनमें दूसरा नाम है
(i)
गुणवाचक विशेषण
(ii)
संख्यावाचक विशेषण
(iii)
परिमाणवाचक विशेषण
(iv)
संकेतवाचक विशेषण

10. इस गिलास में थोड़ा दूध है। रेखांकित का विशेषण भेद बताइए।
(i)
परिमाणवाचक
(ii)
अनिश्चित संख्यावाचक
(iii)
निश्चित संख्यावाचक
(iv)
गुणवाचक

उत्तर-
1. (iv)
2. (iii)
3. (ii)
4. (ii)
5. (i)
6. (iv)
7. (i)
8. (i)
9. (iv)
10. (ii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar क्रिया

क्रियाका अर्थ होता है-करना। प्रत्येक भाषा के वाक्य में क्रिया का बहुत महत्त्व होता है। प्रत्येक वाक्य क्रिया से पूरा होता है। क्रिया किसी कार्य के करने या होने को दर्शाती है। क्रिया को करने वाला कर्ता कहलाता है।

जिन शब्दों से किसी काम के करने या होने का पता चले, वे शब्द क्रिया कहलाते हैं; जैसे-पढ़ना, खेलना, खाना, सोना आदि।
धातु क्रिया का मूल रूप धातुकहलाता है। इनके साथ कुछ जोड़कर क्रिया के सामान्य रूप बनते हैं। जैसे-हँस, बोल, पढ़-हँसना, बोलना, पढ़ना।


मूल धातु में नाप्रत्यय लगाने से क्रि या का सामान्य रूप बनता है।

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हिंदी व्याकरण पुस्तकें

क्रिया के भेद

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते हैं।

·         सकर्मक क्रिया

·         अकर्मक क्रिया।

वाक्य में क्रिया के होने के समय कर्ता का प्रभाव अथवा फल जिस व्यक्ति अथवा वस्तु पर पड़ता है, उसे कर्म कहते हैं, जैसे

नेहा(कर्ता) दूध पी(कर्म) रही है।(क्रिया)

1. सकर्मक क्रिया  जिन क्रियाओं के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-लड़की पत्र लिख रही है।
सकर्मक क्रियाओं के दो भेद हैं

एनसीईआरटी समाधान

·         एककर्मक क्रिया

·         विकर्मक क्रिया

(i) एककर्मक क्रिया  जिन सकर्मक क्रियाओं में केवल एक ही कर्म होता है, वे एककर्मक सकर्मक क्रिया कहलाती है; जैसे-नेहा झाडू लगा रही है।
इस उदाहरण में झाड़ कर्म है और लगा रही हे क्रिया। क्रिया का फल सीधा कर्म पर पड़ रहा है। अतः यहाँ एककर्मक क्रिया है।


(ii)
विकर्मक क्रिया  जिन सकर्मक क्रियाओं में एक साथ दो-दो कर्म होते हैं, वे विकर्मक सकर्मक क्रिया कहलाते हैं; जैसे-ओजस्व अपने भाई के साथ क्रिकेट खेल रहा है।

2. अकर्मक क्रिया  जिस क्रिया में कर्म नहीं पाया जाता है। वह अकर्मक क्रिया कहलाती है; जैसे-प्रणव इंजीनियर है।

संरचना के आधार पर क्रिया के.भेद

संरचना के आधार पर क्रिया के चार भेद होते हैं

·         संयुक्त क्रिया

·         नामधातु क्रिया

·         प्रेरणार्थक क्रिया

·         पूर्वकालिक क्रिया।

(i) संयुक्त क्रिया  दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर जब किसी एक पूर्ण क्रिया का बोध कराती हैं, तो उन्हें संयुक्त क्रिया कहते हैं; जैसे-बच्चे दिनभर खेलते रहते हैं।
(ii)
नामधातु क्रिया  संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण आदि शब्दों से बनने वाली क्रिया को नामधातु क्रिया कहते हैं; जैसे-बात से बतियाना, अपना से अपनाना, नरम से नरमाना।


(iii)
प्रेरणार्थक क्रिया  जिस क्रिया को कर्ता स्वयं करके दूसरों को करने की प्रेरणा देता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। प्रेरणार्थक क्रिया में दो कर्ता होते हैं।

·         प्रेरक कर्ता-प्रेरणा देने वाला, जैसेमालिक, अध्यापिका आदि।

·         प्रेरित कर्ता-प्रेरित होने वाला अर्थात जिसे प्रेरणा दी जा रही है; जैसेनौकर, छात्र आदि।

प्रेरणार्थक क्रिया के दो रूप हैं।

·         प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया

·         वितीय प्रेरणार्थक क्रिया।

प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया प्रत्यक्ष होती है तथा द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया अप्रत्यक्ष होती है।

(iv) पूर्वकालिक क्रिया  जिस वाक्य में मुख्य क्रिया से पहले यदि कोई क्रिया जाए, तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हैं।

·         पूर्वकालिक क्रिया का शब्दिक अर्थ है-पहले समय में हुई।

·         पूर्वकालिक क्रिया मूल धातु में कर अथवा करके लगाकर बनाई जाती है; जैसे-चोर सामान चुराकर भाग गया। छात्र ने पुस्तक से देखकर उत्तर दिया।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘क्रियाको कहते हैं
(i)
जब काम को करना पाया जाए।
(ii)
जब काम को होना पाया जाए।
(iii)
जब काम को करना या होना पाया जाए।
(iv)
जब कर्ता कुछ कहना चाहे।

2. कर्म के आधार पर क्रिया के भेद होते हैं
(i)
दो
(ii)
तीन
(iii)
चार
(iv)
पाँच

3. जिस क्रिया में कर्म होता है वह कहलाती है
(i)
अकर्मक क्रिया
(ii)
द्विकर्मक क्रिया
(iii)
एककर्मक क्रिया
(iv)
सकर्मक क्रिया

4. ओजस्व से मिलकर मैं घंटों बतियाता रहा। यहाँ क्रिया भेद है
(i)
सामान्य क्रिया
(ii)
नामधातु क्रिया।
(iii)
संयुक्त क्रिया
(iv)
प्रेरणार्थक क्रिया

5. ‘आयुष दूध पीकर सो गयारेखांकित अंश का क्रिया भेद है
(i)
प्रेरणार्थक क्रिया
(ii)
नामधातु क्रिया
(iii)
पूर्वकालिक क्रिया
(iv)
सामान्य क्रिया

6. ‘अंशु पुस्तक पढ़ती है’–क्रियाओं का कौन-सा भेद है।
(i)
सकर्मक
(ii)
अकर्मक
(iii)
एककर्मक

7. ग्वाला दूध दूहता है-कौन सी क्रिया है?
(i)
प्रेरणार्थक
(ii)
अकर्मक
(iii)
सकर्मक
(iv)
द्विकर्मक

8. ‘पतंग उड़ रही है’-वाक्यों में क्रिया के भेद बताइए।
(i)
सकर्मक
(ii)
अकर्मक
(iii)
द्विकर्मक
(iv)
प्रेरणार्थक

9. ‘राजू खाकर सो गया क्रिया का और कौन-सा भेद है?
(i)
संयुक्त क्रिया।
(ii)
पूर्वकालिक क्रिया
(iii)
प्रेरणार्थक क्रिया
(iv)
द्विकर्मक क्रिया

10. ‘अपनाशब्द से बनी नामधातु क्रिया कौन सी है?
(i)
अपनत्व
(ii)
अपनापन
(iii)
अपने
(iv)
अपनाना

उत्तर-
1. (iii)
2. (i)
3. (iv)
4. (ii)
5. (iii)
6. (i)
7. (i)
8. (ii)
9. (ii)
10. (iv)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar काल

काल का अर्थ है समय। क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का बोध हो उसे काल कहते हैं।
काल के भेद  काल के तीन भेद होते हैं।
CBSE Class 6 Hindi Grammar काल
1.
भूतकाल  क्रिया के जिस रूप से उसके बीते हुए समय का बोध हो, वह भूतकाल कहलाता है; जैसे

·         नेहा ने गीत गाया।

·         तुमने पुस्तक पढ़ी।

भूतकाल के भेद  भूतकाल के छह भेद होते हैं।

1.     सामान्य भूतकाल

2.     आसन्न भूतकाल

3.     पूर्ण भूतकाल

4.     अपूर्ण भूतकाल

5.     संदिग्ध भूतकाल

6.     हेतु-हेतुमद भूतकाल

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(1) सामान्य भूतकाल क्रिया के जिस रूप से काम के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का बोध हो, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। जैसेअंशु ने नृत्य किया। श्रीराम ने रावण को मारा।
(2)
आसन्न भूतकाल क्रिया के जिस रूप से उसके अभी-अभी पूरा होने का पता चले, उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। जैसे

·         मोहन विद्यालय गया है।

·         मैं अभी सोकर उठी हूँ।

आसन्न का अर्थ निकटहोता है। आसन्न भूतकाल की क्रिया में हूँ, हैं, है, हो लगता है।

(3) पूर्ण भूतकाल क्रिया के जिस रूप से उसके बहुत पहले पूर्ण हो जाने का पता चलता है, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं। जैसे-अंग्रेजों ने भारत पर राज किया था। वर्षा रुक गई थी।
(4)
अपूर्ण भूतकाल क्रिया के जिस रूप से उसके भूतकाल में समाप्त होने का पता चले। जैसे-वर्षा हो रही थी। फुटबॉल मैच चल रहा था।


(5)
संदिग्ध भूतकाल भूतकाल की क्रिया के जिस रूप से उसके भूतकाल में पूरा होने में संदेह हो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं। जैसेवह घर गया होगा। बस छूट गई होगी।


(6)
हेतु-हेतुमद भूतकाल जहाँ भूतकाल की एक क्रिया दूसरे पर आश्रित हो, वहाँ हेतुहेतुमद् भूतकाल होता है। जैसेयदि वर्षा होती तो फ़सल अच्छी होती।

2. वर्तमान काल  वर्तमानकाल अर्थात वह समय जो चल रहा है। क्रिया के जिस रूप से उसके वर्तमान समय में होने का पती चले, उसे वर्तमान काल कहते हैं; जैसे-पिता जी समाचार सुन रहे हैं। छात्र पढ़ रहे हैं। वर्तमान काल के तीन उपभेद हैं

·         सामान्य वर्तमान

·         अपूर्ण वर्तमान

·         संदिग्ध वर्तमान

(i) सामान्य वर्तमान काल जो क्रिया वर्तमान में सामान्य रूप से होती है। वह सामान्य वर्तमान काल की क्रिया कहलाती है। जैसे

·         दादी माला जपती है।

·         बच्चा दूध पीता है।

(ii) अपूर्ण वर्तमान काल क्रिया के जिस रूप से जाना जाए कि काम अभी चल रहा है, उसे अपूर्ण वर्तमानकाल कहते हैं; जैसे

·         नेहा पढ़ रही है।

·         वह सो रही है।

(iii) संदिग्ध वर्तमान काल क्रिया के जिस रूप से उसके वर्तमान काल में होने में संदेह का बोध हो, वह संदिग्ध वर्तमान काल कहलाता है; जैसे

·          नेहा रही होगी।

·         परीक्षा परिणाम गया होगा।

3. भविष्यत् काल  क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में सामान्य ढंग से होने का पता चलता है, उसे सामान्य भविष्यत् काल कहते हैं; जैसे

·         ओजस्व अपना जन्मदिन मनाएगा।

·         राजा अपना गृह कार्य करेगा।

भविष्यत् काल के दो भेद होते हैं

·         सामान्य भविष्यत् काल

·         संभाव्य भविष्यत् काल

(i) सामान्य भविष्यत् काल जहाँ साधारण रूप से क्रिया के भविष्यत् काल में होने या होने का बोध हो। वह सामान्य भविष्यत् काल कहलाता है; जैसे

·         अमर अखबार बेचेगा।

·         हम खेलने जाएँगे।

(ii) संभाव्य भविष्यत् काल क्रिया के जिस रूप से उसके भविष्य में होने की संभावना का पता चलता है, उसे संभाव्य भविष्यत काल कहते हैं; जैसे

·         शायद वह पास हो जाए।

·         शायद आज वर्षा हो।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. क्रिया का वह रूप, जिससे उसके इसी समय में होने का पता चले, उसे कहते हैं
(i)
भूतकाल
(ii)
वर्तमान काल
(iii)
भविष्यत् काल
(iv)
इनमें से कोई नहीं

2. भूतकाल उस काल को कहते हैं, जिसमें
(i)
क्रिया के बीते हुए समय में होने का पता चले।
(ii)
क्रिया के इसी समय में होने का पता चले।
(iii)
क्रिया के आने वाले समय में होने का पता चले।
(iv)
उर्पयुक्त सभी

3. काल के प्रकार होते हैं
(i)
दो
(ii)
तीन
(iii)
चार
(iv)
पाँच

4. जब कोई क्रिया हो चुकी हो तो कहलाता है
(i)
वर्तमान काल
(ii)
भविष्यत काल
(iii)
भूतकाल
(iv)
इनमें से कोई नहीं

5. वर्तमान काल उस काल को कहते हैं
(i)
कार्य चल रहा होता है।
(ii)
कार्य हो चुका होता है।
(iii)
कार्य होने की संभावना होती है।
(iv)
कार्य होना होता है।

6. इनमें से संदिग्ध वर्तमान काल का उदाहरण है
(i)
नेहा पढ़ती है।
(ii)
नेहा पढ़ रही होगी
(iii)
नेहा पढ़ रही है।
(iv)
नेहा नहीं पढ़ी

7. इनमें आसन्न भूतकाल को उदाहरण है
(i)
अंशु ने खाना खाया।
(ii)
अभी-अभी गई है।
(iii)
कोमल खाना खा चुकी है।
(iv)
दिव्या नाच रही है।

8. ‘शायद वह पास हो जाएवाक्य किस काल का उदाहरण है
(i)
भूतकाल
(ii)
सामान्य भविष्यत् काल
(iii)
वर्तमान काल
(iv)
संभाव्य भविष्यत्

9. ‘पत्र पहुँच गया होगावाक्य किस काल का उदाहरण है
(i)
संदिग्ध भूतकाल
(ii)
अपूर्ण भूतकाल
(iii)
सामान्य भूतकाल
(iv)
इनमें कोई नहीं

10. ‘मोहन आने वाला हैवाक्य किस काल के उदाहरण हैं
(i)
भूतकाल
(ii)
वर्तमान काल
(iii)
भविष्यत् काल
(iv)
आसन्न भूतकाल

उत्तर-
1. (ii)
2. (i)
3. (iii)
4. (iii)
5. (i)
6. (ii)
7. (ii)
8. (iv)
9. (i)
10. (iii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar वाच्य

वाच्य का अर्थ है बोलने का विषय क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया द्वारा किए गए व्यापार का विषय कर्ता, कर्म अथवा भाव में से कौन है, उसे वाच्य कहते हैं।

CBSE Textbook Solutions

वाच्य के भेद  वाच्य के मुख्य तीन भेद हैं।
CBSE Class 6 Hindi Grammar वाच्य

 

1. कर्तृवाच्य  जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता हो तथा क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष कर्ता के अनुसार हों, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। जैसे

·         मैं व्यायाम करता हूँ।

·         लड़की दौड़ रही है।

·         अंशु फूल तोड़ रही है।

उपर्युक्त वाक्यों में आए क्रिया-पद करता हूँ’ ‘तोड़ रही हैतथा दौड़ रही है। कर्ता के लिंग वचन के अनुसार प्रयोग किए गए। हैं। इन वाक्यों में प्रधानता कर्ता की है। अतः विभक्ति चिह्न के साथ कारक वाले वाक्य भी कर्तृवाच्य कहलाते हैं।

2. कर्मवाच्य  क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया का प्रयोग कर्म के अनुसार हुआ है यानी उसके लिंग, वचन और पुरुष कर्म के अनुसार हैं, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। जैसे

·         सौरभ से खाना खाया जाता है।

·         भावना से पुस्तक पढ़ी जाती है।

3. भाव वाच्य  जिस क्रिया में भाव की प्रधानता होती है और क्रिया एकवचन पुल्लिंग होत है उसे भाववाच्य कहते हैं। जैसे

·         रोगी से सोया नहीं जाता।

·         राम से चला नहीं जाता।

वाच्य परिवर्तन

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना

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·         captions off, selected

1.     कर्ता के साथ सेया के द्वारा जोड़िए तथा उसके साथ यदि नेविभक्ति लगी हो, तो उसे हटा दीजिए।

2.     क्रिया में ’ ‘’ ‘अथवा याजोड़ दीजिए।

3.     क्रिया में जाधातु को कर्म के लिंग, वचन, काल पुरुष आदि के अनुसार प्रयोग कीजिए।

कुछ उदाहरण देखिए

कर्तृवाच्य

कर्मवाच्य

वह पत्र लिखेगा।
रमी कपड़े सुखा रही है।
बच्चा दूध पी रहा है।
ओजस्व गाना गाता है।
राम ने रावण को मारी।

उससे पत्र लिखा जाएगा।
रमा से कपड़े सुखाए जा रहे हैं।
बच्चे के द्वारा दूध पिया जा रहा है।
ओजस्व से गाना गाया जाता है।
राम के द्वारा रावण मारा गया।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना

1.     क्रिया को अन्य पुरुष एकवचन में बदल दीजिए।

2.     कर्ता के साथ सेविभक्ति लगाइए।

3.     क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलिए।

4.     क्रिया में काल के अनुसार जानाक्रिया का उचित रूप जोड़िए|

कर्तृवाच्य

भाववाच्य

मधु रोती है।
वह चल नहीं सकता।
गाय दौड़ती है।
मनोज सो रहा है।

मधु से रोया जाता है।
उससे चला नहीं जा सकता
गाय से दौड़ा जाता है।
मनोज से सोया जा रहा है।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘मुझसे गाया नहीं जातामें कौन सा वाच्य है?
(i)
कर्तृवाच्य
(ii)
कर्मवाच्य
(iii)
भाववाच्य
(iv)
ये सभी

2. जिस वाक्य में क्रिया का मुख्य संबंध कर्म से हो उसे कहते हैं।
(i)
भाववाच्य
(ii)
कर्मवाच्य
(iii)
कर्तृवाच्य
(iv)
ये सभी

3. इनमें कौन सा वाच्य का भेद नहीं है?
(i)
कर्तृवाच्य
(ii)
कर्मवाच्य
(iii)
भाववाच्य
(iv)
अभाववाच्य

4. ‘माँ खाना बनाती है।वाक्य में वाच्य है।
(i)
कर्तृवाच्य
(ii)
भाववाच्य
(iii)
कर्मवाच्य
(iv)
इनमें कोई नहीं

5. नेहा से उठा नहीं जाता।वाक्य में कौन-सा वाच्य है?
(i)
कर्तृवाच्य
(ii)
कर्मवाच्य
(iii)
भाववाच्य
(iv)
इनमें कोई नहीं

उत्तर-
1. (iii)
2. (ii)
3. (iii)
4. (i)
5. (iii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar अव्यय या अविकारी शब्द

+ विकारी जिससे विकार (परिवर्तन) हो।
अविकारी शब्द वे होते हैं जिनमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण परिवर्तन नहीं होता। इसी कारण इन शब्दों को अव्ययभी कहा जाता है। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है-जिसका कुछ भी व्यय हो। यानी ऐसे शब्द जिनका वाक्य में प्रयोग होने पर रूप बदले। अव्यय वे शब्द हैं जिसके वाक्य में प्रयोग होने पर लिंग, वचन, पुरुष, काले, वाच्य आदि के कारण इनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है।
अव्यय के भेद अव्यय चार प्रकार के होते हैं।
(
) क्रियाविशेषण
(
) संबंधबोधक
(
) समुच्चयबोधक
(
) विस्मयादिबोधक

() क्रियाविशेषण  जो शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे

·         अक्षत धीरे-धीरे चल रहा है।

·         उसने कम खाया।

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यहाँ दिए गए वाक्यों में धीरे-धीरे शब्द अक्षत के चलने का ढंग (रीति) बता रहा है, तो कम शब्द कार्य की मात्रा (परिमाण) बता रहा है। अतः ये शब्द क्रिया की विशेषता बता रहे हैं। अतः ये क्रियाविशेषण के उदाहरण हैं।
क्रियाविशेषण के निम्नलिखित चार भेद होते हैं।

1.     कालवाचक क्रियाविशेषण

2.     स्थानवाचक क्रियाविशेषण

3.     परिमाण वाचक क्रियाविशेषण

4.     रीतिवाचक क्रियाविशेषण

1. कालवाचक क्रियाविशेषण जो शब्द क्रिया के होने के काल (समय) का बोध कराते हैं, वे कालवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे-कल, परसों, आज, सदा, जब तक, हमेशा।।
2.
स्थानवाचक क्रियाविशेषण जो शब्द क्रिया के होने के स्थान संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं, वे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे-दाएँ, बाएँ, इधर, उधर, नीचे, ऊपर, पास, दूर आदि।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण जानने के लिए क्रिया के साथ कहाँ लगाकर प्रश्न किया जाता है।
3.
परिमाणवाचक क्रियाविशेषण जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण (मात्रा) का बोध हो, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।

·         जैसे उतना खाओ जितना पचा सको।

·         आज काफ़ी वर्षा हुई।

4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण जो पद क्रिया के होने की रीति या विधि का बोध कराता है, या विशेषता बताता है उसे रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे

·         कार तेज दौड़ती है।

·         बैलगाड़ी धीरे-धीरे चलती है।

() संबंधबोधक  जिन अव्यय शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से जाना जाता है, वे संबंधबोधक कहलाते हैं; जैसे

·         मेरे घर के सामने एक उद्यान है।

·         घर के बाहर बच्चे खेल रहे हैं।

·         पेड़ के ऊपर चिड़िया का घोंसला है।

कुछ अन्य संबंधबोधक शब्द के बाहर, के मारे, के भीतर, की ओर, के सामने, के पीछे, की तरह, के आगे, के विपरीत, की तरफ आदि।

() समुच्चयबोधक  दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अथवा योजक कहलाते हैं। जैसे

·         पिता जी और आयुष बातें कर रहे हैं।

·         तुम अखबार पढ़ोगे या पत्रिका?

कुछ अन्य संबंधबोधक शब्द के बाहर, के मारे, के भीतर, की ओर, के सामने, के पीछे, के समान, की तरह, के अंदर, के आगे, की ओर, के विपरीत आदि।
समुच्चयबोधक के भेद इसके निम्नलिखित दो उपभेद होते हैं।

·         समानाधिकरण समुच्चयबोधक

·         व्यधिकरण समुच्चयबोधक

(i) समानाधिकरण समुच्चयबोधक दो या दो से अधिक समान पदों, उपवाक्यों या वाक्यों को आपस में जोड़ने वाले शब्दों को समानाधिकरण समुच्यबोधक कहते हैं; जैसेया, , बल्कि, इसलिए और तथा आदि। जैसे- ओजस्व अंशु भाई बहन हैं।
(ii)
व्यधिकरण समुच्चयबोधक एक से अधिक उपवाक्यों को मुख्य उपवाक्यों से जोड़ने वाले अव्यय को व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं। जैसे

·         वह अनुत्तीर्ण हो गया, क्योंकि उसने परिश्रम नहीं किया था।

·         पैसे खत्म हो गए इसलिए मैं घर चला आया।
उपर्युक्त वाक्यों में एक प्रधान उपवाक्यहै तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य जिन्हें क्योंकि’ ‘इसलिएसे जोड़ा गया है।

() विस्मयादिबोधक  जो शब्द विस्मय, हर्ष, शोक, प्रशंसा, भय, क्रोध, दुख आदि मन के भावों को प्रकट करते हैं, वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं; जैसे

·         छिह कितनी गंदगी है।

·         अरे! तुम भी गए।

·         वाह! क्या छक्का मारा है।

कुछ अन्य विस्मयादिबोधक शब्द बाप रे, हाय, अजी, उफ, हे राम, आह, शाबाश, काश, हे भगवान, सावधान, खबरदार आदि।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. जो शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें कहते हैं
(i)
विशेषण
(ii)
क्रियाविशेषण
(iii)
संबंधबोधक
(iv)
विस्मयादिबोधक

2. क्रिया के होने का समय प्रकट करते हैं
(i)
कालवाचक क्रियाविशेषण
(ii)
रीतिवाचक क्रियाविशेषण
(iii)
परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
(iv)
इनमें कोई नहीं

3. संबंधबोधक शब्द किसके बाद जुड़ते हैं?
(i)
संज्ञा या सर्वनाम के बाद
(ii)
केवल सर्वनाम के बाद
(iii)
संज्ञा या सर्वनाम के बाद भी और पहले भी
(iv)
केवल संज्ञा के बाद

4. दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को मिलाने वाले शब्दों को कहते हैं
(i)
संबंधबोधक
(ii)
समुच्चयबोधक
(iii)
विस्मयादिबोधक
(iv)
ये सभी

5. अव्यय शब्द के मुख्यतया कितने भेद माने जाते हैं?
(i)
तीन
(ii)
चार
(iii)
पाँच
(iv)
छह

6. अव्यये शब्दों का दूसरा नाम है?
(i)
तत्सम
(ii)
अविकारी
(iii)
उपकारी
(iv)
तद्भव

7. इनमें विस्मयादिबोधक शब्दों में कौन-सी भाव प्रकट होता है?
(i)
आश्चर्य
(ii)
घृणा
(iii)
शोक
(iv)
उपर्युक्त सभी

8. हिंदी में समुच्चयबोधक के कितने भेद हैं ?
(i)
दो
(ii)
तीन
(iii)
चार
(iv)
पाँच

उत्तर-
1. (ii)
2. (i)
3. (i)
4. (ii)
5. (ii)
6. (ii)
7. (iv)
8. (i)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar संधि Sandhi in Hindi

Sandhi in Hindi: संधि का अर्थ है-मेल। जब दो वर्षों के मेल से उनके मूल रूप में जो परिवर्तन या विकार जाता है, वह संधि कहलाता है; जैसे-

·         नर + ईश = नरेश

·         विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

उपर्युक्त उदाहरणों में पहले शब्द के अंतिम वर्ण तथा दूसरे शब्द के पहले वर्ण के मेल में परिवर्तन गया है। यही परिवर्तन संधि है।

संधि विच्छेद  संधि का अर्थ है-मिलना, विच्छेद का अर्थ है-अलग होना। दो वर्षों के मेल से बने नए शब्द को वापस पहले की स्थिति में लाना संधि विच्छेद कहलाता है; जैसे

·         विद्यालय = विद्या + आलय

·         सूर्योदय = सूर्य + उदय

CBSE Textbook Solutions

व्याकरणिक पुस्तकें

संधि के भेद संधि के तीन भेद होते हैं।
(
) स्वर संधि
(
) व्यंजन संधि
(
) विसर्ग संधि।

() स्वर संधि  स्वर संधि यानी स्वरों का मेल। दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसेमहा + आत्मा = महात्मा, हिम + आलय = हिमालय।
स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं

1.     दीर्घ संधि

2.     गुण संधि

3.     वृधि संधि

4.     यण संधि

5.     अयादि संधि

1. दीर्घ संधि  जब ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएँ, तो दोनों के मेल से दीर्घ स्वर हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे
परम + अर्थ = परमार्थ
सार + अंश = सारांश
न्याय + अधीश = न्यायधीश
देह + अंत = देहांत
मत + अनुसार = मतानुसार
भाव + अर्थ = भावार्थ

संधि-विच्छेद -बुक

अयादि सन्धि पुस्तकें

+ =

·         हिम + आलय = हिमालय

·         छात्र + आवास = छात्रावास

+ = विद्या + आलय = विद्यालय, शिव + आलय = शिवालय।
+ = अभि + इष्ट = अभीष्ट, हरी + इच्छा = हरीच्छा।


+ = हरि + ईश = हरीश, परि + ईक्षा = परीक्षा।


+ = शची + इंद्र = शचींद्र, मही + इंद्र = महेंद्र।
+ = रजनी + ईश = रजनीश, नारी + ईश्वर = नारीश्वर
+ = भानु + उदय = भानूदय, लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
+ = लघु + ऊर्मि = लघूर्मि,
+ = भू+ उर्जा = भूर्जा, भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व

2. गुण संधि  / का मेल / से होने पर , + से होने पर तथा से होने पर अर् हो जाता है। इसे गुण संधि कहते हैं; जैसे
/ + + = नर + इंद्र = नरेंद्र, नर + ईश = नरेश।
/ + + = पर + उपकार = परोपकार, महा + उत्सव = महोत्सव।
/ + + = अर देव + ऋषि = देवर्षि, महा + ऋषि = महर्षि।

3. वृधि संधि  वृधि संधि में या के बाद यदि या हो तो दोनों का होगा। यदि या के बाद या
आए तो दोनों का होगा; जैसे
+ + / =
एक + एक = एकैक, सदा + एव = सदैव
/ + + = = वन + औषधि = वनौषधि, जल + ओध = जलौध।

4. यण संधि   अथवा के बाद और को छोड़कर यदि कोई अन्य स्वर हो तो अथवा के स्थान पर य् अथवा को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो उनके स्थान पर और को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो उसके स्थान पर हो जाता है। इसे यणसंधि कहते हैं; जैसे
अति + अधिक = अत्यधिक, यदि + अपि = यद्यपि

5. अयादि संधि  यदि पहले शब्द के अंत में /, / एक दूसरे के शब्द के आरंभ में भिन्न स्वर आए तो क्रमशः का अय, का आय, का अव, तथा का आव हो जाता है। इसे अयादि संधि कहते हैं; जैसे
ने + अक = नायक, भो + अन = भवन
पौ + अक = पावक, भौ + अक = भावुक

अयादि सन्धि पुस्तकें

() व्यंजन संधि  व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, वह व्यंजन संधि कहलाता . है; जैसे
सम + कल्प = संकल्प, जगत+ ईश = जगदीश।

व्यंजन संधि के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-

() कवर्ग का तृतीय वर्ण-वर्गों के प्रथम वर्ण से परे वर्गों का तृतीय, चतुर्थ वर्ण कोई स्वर अथवा , , , वे, आदि वर्गों में से कोई वर्ण हो तो पहले वर्ण को अपने वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है; जैसे।
दिक् + अंबर = दिगंबर, सत् + धर्म = सद्धर्म

() खवर्ग का पंचम वर्ग-वर्ग के प्रथम या तृतीय वर्ण से परे पाँचवा वर्ण हो, तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवा वर्ण हो जाता है; जैसे

·         वाक् + मय = वाङ्मय, सत् + मार्ग = सन्मार्ग

·         जगत् + नाथ = जगन्नाथ, चित् + मय = चिन्मय।

() के बाद या हो तो के स्थान पर हो जाता है; जैसे
सत् + जन = सज्जान, विपत् + जाल = विपज्जाल, जगत् + जननी = जगज्जननी

() त् के बाद या ढ़ हो तो त्के स्थान पर हो जाता है; जैसे
उत् + डयन = उड्डयन, वृहत + टीका = वृहट्टीका।

() त् के बाद हो तो के स्थान पर हो जाता है; जैसै
तत् + लीन = तल्लीन, उत् + लेख = उल्लेख

() त् के बाद हो तो त्के स्थान पर च्और के स्थान पर हो जाता है; जैसे
उत् + श्वास = उच्छवास, तत् + शिव = तच्छिव

() यदि त्के बाद च्, हो तो त्का हो जाता है; जैसे
उत् + चारण = उच्चारण, सत् + चरित्र = सच्चरित्र

() त् के बाद हो तो त्का द्और का हो जाता है; जैसे
उत् + हार = उद्धार, तत् + हित = तधित

() के बाद कोई स्पर्श व्यंजन हो तो म्का अनुस्वार या बाद वाले वर्ण के पंचम हो जाता है; जैसे
अहम् + कार = अहंकार, सम् + तोष = संतोष

() म्के बाद , , , , , , हो, तो म् अनुस्वार हो जाता है; जैसे
सम् + योग = संयोग, सम् + वाद = संवाद, सम् + हार = संहार
अपवाद-यदि सम् के बाद राट्हो तो म् का म् ही रहता है। जैसे
सम् + राट = सम्राट

() से पूर्व स्वर हो तो से पूर्व जाता है।
परि + छेद = परिच्छेद, + छादन् = अच्छादन।

() ह्रस्व स्वर के बाद यदि के बाद फिर हो तो ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। का लोप हो जाता है; जैसे
निर + रस = नीरस, निर + रोग = नीरोग

() न् का होनायदि , के बाद व्यंजन आता है तो का हो जाता है; जैसे
राम + अयन = रामायण, परि + नाम = परिणाम

() ह्रस्व के बाद हो तो उसके पहले जुड़ जाता है। दीर्घ स्वर में विकल्प होता है।
परि + छेद = परिच्छेद, शाला + छादन = शालाच्छादन

कुछ अन्य उदाहरण

क् + ग् वाक् + ईश = वागीश, दिक + अंत = दिगंत।
त् + तत् + भव = तद्भव, भगवत् + गीता = भगवदगीता
संबंधी नियम स्व + छेद = स्वच्छेद, परि + छेद = परिच्छेद।
संबंधी नियम सम् + गति = संगति, सम् + तोष = संतोष।

() विसर्ग संधि  विसर्ग का किसी स्वर या व्यंजन से मेल होने पर जो विकार (परिवर्तन) होता है वह विसर्ग संधि कहलाता है; जैसे

() विसर्ग के पहले हो और बाद में कोई घोष व्यंजन, वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवा वर्ण (, , , , ) हो तो
विसर्ग का हो जाता है। जैसे
मनः + बल = मनोबल, मनः + रंजन = मनोरंजन, मनः + हर = मनोहर।

() विसर्ग के बाद यदि , हो, तो विसर्ग का हो जाता है; जैसे
निः + चिंत = निश्चित, निः + छल = निश्छल, दु: + चरित्र = दुश्चरित्र।

() विसर्ग के बाद यदि , हो तो विसर्ग का. हो जाता है; जैसे
धनुः + टंकार = धनुष्टंकार

() विसर्ग के बाद यदि , हो तो विसर्ग का हो जाता है; जैसे
दुः + तर = दुस्तर, नमः + ते = नमस्ते

() यदि विसर्ग के पहले और को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आए और विसर्ग के बाद कोई स्वर हो या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवा वर्ण हो या , , , , हो तो विसर्ग के बाद कोई स्वर हो या किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवा वर्ण हो या , , ले,, हो, तो विसर्ग के स्थान पर हो जाता है; जैसे
निः + बल = निर्बल, निः + लोभ = निर्लोभ, निः + विकार = निर्विकार।

() विसर्ग से परे , , हो तो विसर्ग के विकल्प से परे वाले वर्ण हो जाता है।
निः + संदेह = निस्संदेह, दु: + शासन = दुश्शासन

() यदि विसर्ग के पहले इकार या उकार आए और विसर्ग के बाद का वर्ण , , , , हो तो विसर्ग का हो जाता है; जैसे
निः + कपट = निष्कपट, दुः + कर = दुष्कर।

() यदि विसर्ग के बाद हो तो विसर्ग का लोप हो जाएगा; जैसे
अतः + एव = अतएव

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘उपेंद्रशब्द का सही संधि विच्छेद है
(i)
उपा + इंद्र
(ii)
उप + इंद्र
(iii)
उपे + इंद्र
(iv)
उपी + इंद्र

संधि-विच्छेद -बुक

2. ‘नयनमें कौन सी संधि है
(i)
यण संधि
(ii)
गुण संधि
(ii)
वृद्धि संधि
(iv)
अयादि संधि

3. ‘एकैकमें कौन सी संधि है
(i)
यण संधि
(ii)
दीर्घ संधि
(iii)
गुण संधि
(iv)
वृद्धि संधि

4. कौन-सा भेद संधि का नहीं है
(i)
विसर्ग संधि
(ii)
व्यंजन संधि
(iii)
जल संधि
(iv)
स्वर संधि

5. ‘हरिश्चंद्रमें कौन-सी संधि है।
(i)
स्वर संधि
(ii)
विसर्ग संधि
(iii)
व्यंजन संधि
(iv)
उपर्युक्त में से कोई नहीं

अयादि सन्धि पुस्तकें

6. स्वर संधि के कितने भेद होते हैं
(i)
चार
(ii)
पाँच
(iii)
सात
(iv)
छह

7. ‘प्रणामका संधि विग्रह होगा
(i)
प्रण + आम
(ii)
प्र + णाम
(iii)
प्रण + नाम
(iv)
प्र + णाम

8. जगदीश का विग्रह होगा
(i)
जगदी + ईश
(ii)
जगद + ईश
(iii)
जगत् + ईश
(iv)
जगती + ईश

उत्तर-
1. (ii)
2. (iv)
3. (iv)
4. (iii)
5. (ii)
6. (ii)
7. (ii)
8. (iii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar समास

अनेक शब्दों को संक्षिप्त करके नए शब्द बनाने की प्रक्रिया समास कहलाती है; जैसेचौराहा, पीतांबर आदि।

समास के भेद  समास के मुख्यतः छह भेद हैं।

1.     तत्पुरुष समास

2.     कर्मधारय समास

3.     विगु समास

4.     अव्ययीभाव समास

5.     बहुब्रीहि समास

6.     द्वंद्व समास।

CBSE Textbook Solutions

1. तत्पुरुष समास  इस समास में उत्तरपद प्रधान होता है और पूर्वपद गौण होता है। तत्पुरुष समास की रचना में समस्त पदों के बीच में आने वाले परसर्गों; जैसका, से घर आदि का लोप हो जाता है; जैसे-रसोई घर = रासोई + घर = रसोई के लिए घर। पुस्तकालय = पुस्तक + आलय = पुस्तक का आलय।

2. कर्मधारय समास  कर्मधारय समास में पूर्वपद विशेषण तथा उत्तरपद विशेष्य होता है। अथवा पूर्वपद और उत्तर पद में उपमेप| उपमान का संबंध होता है; जैसे-नीलकमल = नील + कमल = नीलाकमल। कमलनयन = नयन + कमल = कमल के समान नयन।

3. विगु समास  दुवि का शाब्दिक अर्थ है-दोइस समास का पहला शब्द संख्यावाचक विशेषण तथा दूसरा पद संज्ञा होता है। इस समास का बोध कराता है तथा इसका दूसरा पद प्रधान होता है; जैसेत्रिलोक, पंचवटी, अठन्नी, चौराहो, पखवारा, शताब्दी।

4. अव्ययीभाव समास  जिसका पद प्रधान हो और समस्त पद अव्यय हों, उसे अव्ययीभाव कहते हैं; जैसेप्रत्येक, यथाशक्ति, रातोंरात, आजन्म।

5. बहुब्रीहि समास  जिस समास में पूर्वपद तथा उत्तरपद दोनों में से कोई भी पद प्रधान होकर कोई अन्य पद ही प्रधान हो, वह बहुब्रीहि समास कहलाता है; जैसे-लंबोदर, मुरलीधर, मृगनयनी, त्रिलोचन, पीतांबर।।

6. द्वंद्व समास  इस समास में दोनों ही पद प्रधान होते हैं तथा दोनों पदों को जोड़ने वाले समुच्चयबोधक अव्यय का लोप होता है; जैसे-सुख-दुख, भाई-बहन, पाप-पुण्य, भला-बुरा, रात-दिन आदि।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘यथाशक्तिदूसरों की सहायता करो
(i)
बहुब्रीहि समास
(ii)
कर्मधारय समास
(iii)
अव्ययीभाव समास
(iv)
द्विगु समास

2. श्रीकृष्णने पीतांबरधारण किया है
(i)
कर्मधारय
(ii)
बहुब्रीहि
(iii)
द्वंद्व
(iv)
तत्पुरुष

3. ‘पीतांबरभगवान सर्वत्र हैं
(i)
कर्मधारय
(ii)
बहुव्रीहि
(iii)
तत्पुरुष
(iv)
अव्ययीभावे

4. राम ने दशाननका वध किया
(i)
द्विगु
(ii)
अव्ययीभाव
(iii)
कर्मधारये
(iv)
बहुब्रीहि

5. “चरण कमलबंद हरिराई
(i)
तत्पुरुष
(ii)
बहुब्रीहि
(iii)
कर्मधारय
(iv)
द्वंद्व

6. समास के कितने भेद होते हैं?
(i)
चार
(ii)
पाँच
(iii)
छह
(iv)
आठ

7. तत्पुरुष समास का उदाहरण इनमें से कौन-से विकल्प में है
(i)
जलमग्न
(ii)
पीतांबर
(iii)
कमलनयन
(iv)
राजा-रानी

8. किस समास में पहला पद संख्यावाचक होता है?
(i)
द्विगु समास
(ii)
द्वं द्व समास
(iii)
बहुब्रीहि समास
(iv)
तत्पुरु समास

उत्तर-
1. (ii)
2. (i)
3. (iii)
4. (i)
5. (i)
6. (iii)
7. (i)
8. (i)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar उपसर्ग

उपसर्गशब्द उप’ + ‘सर्गशब्द के मेल से बना है, जिसमें सर्गमूल शब्द है, जिसका अर्थ होता है ग्रंथ का अध्याय जोड़ना, रचना, निर्माण करना आदि। अतः सर्गमूल शब्द से पूर्व उपशब्दांश लगने से उसका अर्थ हुआ पहले जोड़ना। इस प्रकार मूल शब्दों के पहले अथवा आगे जो शब्दांश लगाए जाते हैं। वे उपसर्ग कहलाते हैं।

जो शब्दांश शब्द से पहले लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं; जैसे
स्व + तंत्र = स्वतंत्र,
निः + बल = निर्बल
+ पूत = सपूत,
सु + कुमार = सुकुमार

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उपसर्ग के भेद हिंदी भाषा में चार प्रकार के उपसर्ग प्रचलित हैं।

उपसर्ग

1.     हिंदी के उपसर्ग

2.     संस्कृत के उपसर्ग

3.     उर्दू के उपसर्ग

4.     संस्कृत के अव्यय

1. हिंदी के उपसर्ग  हिंदी में जो उपसर्ग मिलते हैं, वे संस्कृत हिंदी तथा उर्दू भाषा के हैं।

उपसर्ग

अर्थ

शब्दरूप

/अव

हीनता, रहित

औघट, अवनति, अवगुण, अवतार

अन्

अभाव, नहीं

अनजान, अनपढ़, अनादि, अनुपस्थित, अनमोल

अध

आधा

अधपका, अधमरा, अधखिला

कु

बुरा

कुसंगति, कुपथ, कुकर्म, कुचाल, कुमति, कुरूप, कुचक्र

सु

सुंदर, अच्छा

सुगंध, सुवास, सुजान, सुघड़

पर

दूसरा, दूसरी पीढ़ी

परोपकार, परस्त्री, परपुरु , परलोक, परदादी, परनानी, परपिता

भर

पूरा

भरपेट, भरपूर, भरसक

अध

आधा

अधखिला, अधजला, अधकचरा

ति

तीन

तिगुना, तिपाई, तिराहा, तिपहिया

चौ

चार

चौराहा, चौगुना, चौमासा, चौतरफा, चौमुखी

नि

बिना, रहित

निछथा, निहाल, निपट, निठल्ला

2. संस्कृत के उपसर्ग

उपसर्ग

अर्थ

शब्दरूप

अभि

सामने, पास, ओर

अभिमान, अभिलाषा, अभिनेता, अभिनय, अभिव्यक्त, अभिशाप

अव

बुरा, हीन

अवनति, अवगुण, अवशेष

अनु

समान, पीछे

अनुरूप, अनुज, अनुचर, अनुकरण

अति

अधिक

अत्यधिक, अत्युत्तम, अत्यंत

अन

अभाव

अनादि, अनंत, अनेक, अनिच्छा

उद्

ऊपर, उत्कर्ष

उद्धार, उद्भव, उद्देश्य, उद्घाटन, उद्घोष

निर

निषेध, रहित, बिना

निर्बल, निर्भय, निरपराध, निर्दोष

परा

विपरीत, उलटी, पीछे

पराजय, पराधीन, पराक्रम, परस्त, परामर्श

वि

विशेष, अलग, अभाव

विहीन, विज्ञान, विमाता, विनय, विभाग, विशेष, विदेश

सम्

पूर्णता, सुंदर, साथ/अच्छा

संयोग, सम्मान, संतोष, संविधान, संचय, संशय

3. उर्दू के उपसर्ग

उपसर्ग

अर्थ

शब्दरूप

बे

बुरा, अभाव

बेवफा, बेसमझ, बेईमान

बद

बुरा

बदनाम, बदसूरत, बदबू

ना

नहीं, अभाव

नाकाम, नालायक, नापसंद

कम

थोड़ा

कम अक्ल, कमबख्त, कमज़ोर

खुश

अच्छा

खुशकिस्मत, खुशखबरी, खुशबू, खुशमिज़ाज, खुशहाल

हर

सभी, प्रत्येक

हरएक, हरतरफ, हररोज़, हरसाल, हरदिन, हरपल, हरचीज़, हरदिल

दर

में

दरमियान, दरगुज़र, दरकिनार

सर

मुखय, प्रमुख

सरहद, सरकार, सरपंथ, सरताज, सरमाया, सरदार

गैर

भिन्न

गैरजिम्मेदार, गैरसरकारी, गैरजरूरी, गैरमुल्क, गैरमर्द।

4. संस्कृत के अव्यय

उपसर्ग की तरह प्रयोग किए जाने वाले संस्कृत के अव्यय निम्नांकित हैं-

उपसर्ग

अर्थ

शब्दरूप

अधः

नीचे

अध:पतन, अधोगति, अधोमुख, अधोमार्ग

आन

मिलान, उठान, उड़ान, लगान, ढलान

अककड़

भुलक्कड़, घुमक्कड़, कुदक्कड़

सहित

सपरिवार, सचित्र, सप्रसंग, सजल

रेती, कटारी, हँसी, बोली, घाटी, डोरी

बहुविकल्पी प्रश्न

1. कौन-सा शब्द उपसर्ग से नहीं बना है?
(i)
अजर
(ii)
अनंत
(iii)
अगोचर
(iv)
अमर

2. कौन-सा शब्द अनुउपसर्ग से नहीं बना है?
(i)
अनुदार
(ii)
अनुपम
(iii)
अगम्य
(iv)
अनासक्त

3. कौन-सा शब्द अवउपसर्ग से युक्त नहीं है?
(i)
अव्यय
(ii)
अवहेलना
(iii)
अवगुण
(iv)
अवरुद्ध

4. कौन-सा शब्द उतउपसर्ग युक्त नहीं है?
(i)
उच्चारण
(ii)
उद्योग
(iii)
उनमाद
(iv)
उपज

5. ‘उपसर्ग युक्त शब्द छाँटिए।
(i)
कुपुत्र
(ii)
कुबेर
(iii)
कुमार
(iv)
कुब्ज

6. ‘निउपसर्ग युक्त शब्द छाँटिए
(i)
निष्क्रिय
(ii)
निष्ठ
(iii)
निष्कासन
(iv)
निकृष्ट

7. निः उपसर्ग युक्त शब्द छाँटिए
(i)
निकष
(ii)
नियम
(iii)
निर्मल
(iv)
निपात

8. दुः उपसर्ग युक्त शब्द छाँटिए
(i)
दुधिया
(ii)
दुर्दशा
(iii)
दुधारू
(iv)
दुपहरिया

उत्तर-
1. (ii)
2. (iii)
3. (ii)
4. (iv)
5. (i)
6. (iv)
7. (iii)
8. (ii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar प्रत्यय

शब्दों के अंत में लगाए गए शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे

·         नेहा पढ़ाकू है।

·         दुकानदार दालों में मिलावट करते हैं।

ऊपर दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों को आपने देखा। इनमें मूल शब्दों के अंत में शब्दांश जोड़कर नए शब्द बनाए हैं, जैसे
पढ़ + आकू, मिल + आवटे।

हिंदी में प्रत्यय के दो भेद हैं।

1.     कृत प्रत्यय

2.     तधित प्रत्यय

1. कृत प्रत्यय  जो प्रत्यय धातुओं अथवा क्रियाओं के अंत में लगकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं, वे कृत प्रत्यय कहलाते हैं। इनके योग से बने शब्दों को कृदंत भी कहते हैं; जैसे
पालन + हार = पालनहार, लिख + आवट = लिखावट
कृत् प्रत्ययों से संज्ञा तथा विशेषण शब्दों की रचना होती है। अतः कृत् प्रत्यय के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं।

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प्रत्यय

प्रत्यय से बने शब्द

आई
आहट
आवट
आन

आवा

सुनाई, लड़ाई, लिखाई, पढ़ाई, चढ़ाई।
चिल्लाहट, घबराहट, मुसकराहट
सजावट, बनावट, रुकावट, मिलावट।
थकान, पढ़ान, पठान।
झाडू, आडू, उतारू।
छलावा, दिखावा, चढ़ावा।

2. तधित प्रत्यय  संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में जुड़कर बनने वाले प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
जैसे-धन + = धनी, बुरा + = बुराई।
कुछ उदाहरण प्रत्यय

प्रत्यय

प्रत्यय से बने शब्द

इन
इयो
आहट

ईय
इंक
वाला

धोबिन, लुहारिन
चुहिया, बुढ़िया
घबराहट, चिकनाहट, कड़वाहट
धनी, क्रोधी, लोभी, मानी, पंजाबी, बंगाली।
भारतीय, अनुकरणीय, आदरणीय।
धार्मिक, मासिक, साप्ताहिक, दैनिक
सब्जीवाला, फलवाला, दिलवाला, रिक्शावाला।

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar वाक्य-विचार

मनुष्य अपने भावों या विचारों को वाक्य में ही प्रकट करता है। वाक्य सार्थक शब्दों के व्यवस्थित और क्रमबद्ध समूह से बनते हैं, जो किसी विचार को पूर्ण रूप से प्रकट करते हैं।
अर्थ प्रकट करने वाले सार्थक शब्दों के व्यवस्थित समूह को वाक्य कहते हैं; जैसे-ओजस्व कमरे में टी.वी. देख रहा है। रजतअमन, तुम कहाँ जा रहे हो?
एक वाक्य में साधारण रूप में कर्ता और क्रिया का होना आवश्यक है।

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वाक्य के अंग  वाक्य के दो अंग होते हैं।

·         उद्देश्य

·         विधेय

1. उद्देश्य  वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं; जैसे

·         राजा खाता है।

·         पक्षी डाल पर बैठा है।
इन वाक्यों में राजा और पक्षी उद्देश्य हैं।

2. विधेय  उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं; जैसे

·         राजा खाता है।

·         पक्षी डाल पर बैठा है।
इन वाक्यों में खाता है, और डाल पर बैठा है, विधेय है।

उद्देश्य का विस्तार
जब उद्देश्य के साथ उसकी विशेषता बताने वाले शब्द जुड़ जाते हैं, अब वे शब्द उद्देश्य का विस्तार कहलाते हैं; जैसे

·         लड़की(उद्देश्य) नाच रही है।

·         एक सुंदर(उद्देश्य का विस्तार) लड़की हँस रही है।

विधेय का विस्तार
कभी विधेय अकेला आता है, तो कभी क्रियाविशेषण, कर्म आदि के साथ।
इस प्रकार जो शब्द क्रिया के कर्म या विशेषण होते हैं, वे विधेय का विस्तार कहलाते हैं; जैसे

·         मोर नाच रहा है(विधेय)

·         मोर पंख फैलाकर(विधेय का विस्तार ) नाच रहा है।
इन वाक्यों में रेखांकित अंश विधेय है। दूसरे वाक्यों में विधेय का विस्तार किया गया है।

वाक्य के भेद
वाक्य के निम्नलिखित दो भेद होते हैं।

·         रचना के आधार पर

·         अर्थ के आधार पर

1. रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के अनुसार वाक्य के तीन प्रकार होते हैं

·         सरल वाक्य

·         संयुक्त वाक्य

·         मिश्रित वाक्य

(i) सरल वाक्य जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं; जैसे

·         अंशु पढ़ रही है।

·         पिता जी अखबार पढ़ रहे हैं।

(ii) संयुक्त वाक्य जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र वाक्य समुच्चयबोधक शब्द से जुड़े रहते हैं, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है; जैसे

·         नेहा गा रही है और अंशु नाच रही है।
उपर्युक्त वाक्य में दो सरल वाक्य और से जुड़े हुए हैं और समुच्चयबोधक हटाने पर ये स्वतंत्र वाक्य बन जाते हैं।

(iii) मिश्रवाक्य जिस वाक्य में एक प्रधान वाक्य होता है और अन्य वाक्य उस पर आश्रित या गौण होते हैं, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं; जैसे

·         जो कल घर आया था, वह बाहर खड़ा है।

·         कोमल विद्यालय नहीं जा सकी, क्योंकि वह बीमार है।
उपर्युक्त पहले और दूसरे वाक्य में जो कल घर आया था तथा कोमल विद्यालये नहीं जा सकी प्रधान उपवाक्य हैं, जो क्रमशः वह बाहर खड़ा है तथा क्योंकि वह बीमार है, आश्रित उपवाक्यों से जुड़े हैं। अतः ये मिश्र वाक्य हैं।

2. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ के अनुसार वाक्य आठ प्रकार के होते हैं

1.     विधानवाचक

2.     निषेधवाचक

3.     इच्छावाचक

4.     प्रश्नवाचक

5.     आज्ञावाचक

6.     संकेतवाचक

7.     विस्मयसूचक

8.     संदेहवाचक

1. विधानवाचक जिस वाक्य में किसी बात का होना या करना पाया जाए, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है; जैसे

·         वह मेरा मित्र है।

·         अंशु अपना कार्य करती है।

2. ‘निषेधवाचक वाक्य-जिस वाक्य में किसी बात या काम के होने का बोध हो , वह निषेधात्मक वाक्य कहलाता है; जैसे-

·         उसने खाना नहीं खाया।

3. प्रश्नवाचक वाक्य-जिसे वाक्य का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाए, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे

·         आप कहाँ रहते हैं?

·         तुम क्या पढ़ रहे हो?

4. आज्ञावाचक वाक्य-जिस वाक्य से आज्ञा तथा उपदेश को बोध होता है, वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता है, जैसे

·         तुम यहाँ से चले जाओ।

·         अपना कमरा साफ़ करो।

5. विस्मयादिवाचक वाक्य-जिस वाक्य के द्वारा शोक, हर्ष, आश्चर्य आदि के भाव प्रकट होते हैं, वह विस्मयादिवाचक वाक्य कहलाता है; जैसे

·         वाह! क्या दृश्य है।

·         अरे! यह क्या कर डाला।

6. संदेहवाचक वाक्य-जिस वाक्य में किसी कार्य के होने के बारे में संदेह प्रकट किया जाता है, उसे संदेहवाचक वाक्य कहते हैं; जैसे

·         वह शायद ही यह काम करे

·         वह जयपुर चला गया होगा।

7. इच्छावाचक वाक्य-जिस वाक्य से किसी आशीर्वाद, कामना, इच्छा आदि का बोध हो, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं; जैसे

·         ईश्वर तुम्हें दीर्घायु बनाए।

·         जुग-जुग जियो।

8. संकेतवाचक वाक्य-जिस वाक्य में संकेत या शर्त हो, उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे

·         यदि वर्षा होती तो फ़सल अच्छी होती।

·         वर्षा हुई तो गरमी कम हो जाएगी।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. वाक्य कहते हैं?
(i)
शब्दों के सार्थक समूह को
(ii)
शब्दों के निरर्थक समूह को
(iii)
वर्गों के समूह को
(iv)
उपर्युक्त सभी को

2. ‘पिता जीअखबार पढ़ रहे है, वाक्य में उद्देश्य है
(i)
अखबार
(ii)
पढ़ रहे हैं।
(iii) ‘
पिता जी
(iv)
इनमें कोई नहीं

3. अध्यापक पढ़ा रहे हैं’, वाक्य में विधेय है।
(i)
अध्यापक
(ii)
पढ़ा
(iii)
पढ़ा रहे हैं।
(iv)
उपर्युक्त सभी।

4. मैं बीमार होने के कारण विद्यालय जा सका।
(i)
मिश्र वाक्य
(ii)
संयुक्त वाक्य
(iii)
सरल वाक्य
(iv)
इनमें से कोई नहीं

5. रीता गाना गाकर मंच से नीचे उतर गई। यह कौन-सा वाक्य है?
(i)
संयुक्त
(ii)
सरल
(iii)
मिश्र

उत्तर-
1. (i)
2. (iii)
3. (iii)
4. (iii)
5. (ii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar विराम-चिह्न

विराम शब्द का अर्थ है रुकना या ठहरना।
वाक्यों के बीच-बीच में थोड़ी देर के लिए रुकने का संकेत करने वाले चिह्नों को विराम-चिह्न कहते हैं।
हिंदी में प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख विराम-चिह्न निम्नलिखित हैं

नाम

चिह्न

1. पूर्ण विराम
2.
अल्प विराम
3.
अर्ध विराम
4.
प्रश्नवाचक चिह्न
5.
विस्मयवाचक चिह्न
6.
योजक या विभाजक
7.
निर्देशन डैस
8.
उद्धरण चिह्न
9.
विवरण चिह्न
10.
कोष्ठक
11.
हँसपद/त्रुटिपूरक
12.
लाघव चिह्न

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( | )
( , )
( ; )
( ? )
( ! )
( – )
( _ )
(“…”)
(:-)
[ ] ( )
( λ)
( ° )

1. पूर्ण विराम ( )  पूर्ण विराम वाक्य के अंत में लगाया जाता है। जब वाक्य पूरा होता है, तब इसका प्रयोग करते हैं। जैसे

·         पक्षी दाना चुग रहे हैं।

·         सूर्योदय हो रहा है।

2. अल्प विराम ( , ) – अल्प विराम का अर्थ है-थोड़ा विराम। जब पूर्ण विराम से कम समय के लिए वाक्य के बीच में रुकना पड़े, तो अल्पविराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे- भारत में गेहूँ, चना, बाजरा, मक्का, आदि बहुत सी फ़सलें उगाई जाती हैं।

3. अर्ध विराम ( ; ) – वाक्य लिखते या बोलते समय, एक बड़े वाक्य में एक से अधिक छोटे वाक्यों को जोड़ने के लिए अर्धविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसेनिरंतर प्रयत्नशील रहो; रुकना कायरता है।

4. प्रश्नवाचक चिह्न ( ? ) – बातचीत के दौरान जब किसी से कोई बात पूछी जाती है अथवा कोई प्रश्न पूछा जाता है, तब वाक्य के अंत में प्रश्नसूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे

·         आपका क्या नाम है?

·         तुमने क्या कहा है?

5. विस्मयाधिबोधक चिह्न ( ! )  विस्मयः आश्चर्य, शोक, हर्ष आदि भावों को प्रकट करने वाले शब्दों को विस्मयादि बोधक चिह्न कहते हैं।

·         वाह! हम यह मैच भी जीत गए।

·         छिः यहाँ इतनी गंदगी क्यों है?

6. योजक या विभाजक चिह्न ( – ) – दो शब्दों को जोड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है; जैसे-छोटा-बड़ा, रात-दिन, धीरे-धीरे। उदाहरण-जीवन में सुख-दुख तो चलता ही रहता है।

7. निर्देशक (डैश) चिह्न ( _ ) – कोई भी निर्देश अथवा सूचना देने वाले वाक्य के बाद निर्देशक-चिह्न का प्रयोग किया जाता है, जैसे-नेहा ने कहा-मैं कल जाऊँगी।

8. उद्धरण चिह्न (“…..”) (‘ ‘) – उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं- एकहरे (‘ ‘) तथा दोहरे (” “) एकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग किसी विशेष व्यक्ति, ग्रंथ, उपनाम आदि को प्रकट करने के लिए किया जाता है; जैसे

·         रामचरित मानसतुलसीदस द्वारा रचित ग्रंथ है।

·         रामधारी सिंह दिनकरमहान कवि थे।

दोहरा उद्धरण चिह्न (” “) – इस चिह्न का प्रयोग किसी के द्वारा कही गई बात अथवा कथन को ज्यों-का-त्यों दिखाने के लिए किया जाता है; जैसे

·         महात्मा गांधी ने कहा, “सत्य ही ईश्वर है।

·         लोकमान्य तिलक ने कहा था, “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।

9. विवरण चिह्न (:-)  इसका प्रयोग निर्देश देने के लिए होता है या किसी विषय का विवरण देने के लिए। जैसे कारक के आठ भेद हैं:

10. कोष्ठक  वाक्य के बीच में आए शब्दों अथवा पदों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है; जैसे कालिदास (संस्कृत के महाकवि) को सभी जानते हैं।

11. त्रुटिपूरक चिह्न (λ) – हँसपद-लिखते समय जब कोई अंश शेष रह जाता है तो इस चिह्न को लगाकर उस शब्द को ऊपर . लिख दिया जाता है; जैसे

·         बगीचे में λ फूल खिले हैं

·         मैंने λ तुमसे पहले λ ही कह दिया था।

12. लाघव चिह्न ()  किसी बड़े अंश का संक्षिप्त रूप लिखने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे मेंबर ऑफ पार्लियामेंट- एमपी, डॉक्टर-डॉ., अर्जित अवकाश-अ००।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. (,) इस चिह्न को कहते हैं
(i)
पूर्ण विराम
(ii)
प्रश्नसूचक
(iii)
अल्पविराम
(iv)
इनमें से कोई नहीं

2. विस्मयादिबोधक चिह्न है
(i) ?
(ii) ,
(iii) !
(iv)

3. वाक्य के पूर्ण होने पर लगाया जाने वाले चिह्न कहलाता है
(i)
अल्पविराम
(ii)
पूर्णविराम
(iii)
विस्मयादि सूचक
(iv)
प्रश्नसूचक

4. ( .) इस चिह्न को कहते हैं?
(i)
योजक चिह्न
(ii)
लाघव चिह्न
(iii)
पूर्णविराम चिह्न
(iv)
इनमें कोई नहीं

5. (|^) चिह्न को कहते हैं।
(i)
अर्ध विराम चिह्न
(ii)
पूर्णविराम चिह्न
(iii)
लाघव चिह्न
(iv)
त्रुटि चिह्न

उत्तर-
1. (iii)
2. (ii)
3. (ii)
4. (ii)
5. (iv)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar अशुद्ध वाक्यों का संशोधन

वाक्य लिखते अथवा बोलते समय अकसर कई प्रकार की अशुधियाँ होती हैं। सामान्यतः ये अशुद्धियाँ उच्चारण की अशुद्धियों के कारण होती हैं।

भारत एक विविध प्रांतीय देश है। इसमें विविध प्रांतों के लोग रहते हैं, जहाँ अलग-अलग प्रकार की भावनाओं और बोलियों का प्रयोग किया जाता है, जिनका उच्चारण क्षेत्रीयता के प्रभाव के कारण अलग-अलग होता है। जैसे
पंजाबी लोग अधिकांशतः बोलते समय स्वरयुक्त व्यंजन को स्वररहित स्वररहित व्यंजन को स्वरयुक्त करके बोलते हैं। जैसे
आत्मग्लानि को आतमग्लानि कहते हैं।

उत्तराखंड के लोग के लिए का ही प्रयोग करते हैं, बारिश को बारिसा।
बंगाली लोग किसी भी शब्द को आँलगाकर बोलते हैं, जैसे
रसगुल्ला को राँसोगुल्ला, जल को जाँल आदि।
दक्षिण भारतीय लोग प्रायः लिंग संबंधी गलतियाँ करते हैं।
नीचे कुछ सामान्य अशुद्धियाँ तथा उनके शुद्ध रूप दिए जा रहे हैं। इनका ध्यानपूर्वक अध्ययन कर लाभ उठाएँ।

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1. , की अशुद्धियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

संसारिक
सप्ताहिक
अगामी
परिवारिक

सांसारिक
साप्ताहिक
आगामी
पारिवारिक

2. , के गलत प्रयोग से होने वाली अशुद्धियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

परिक्षा
तिथी
दिवार
कवी
हानी
शक्ती

परीक्षा
तिथि
दीवार
कवि
हानि
शक्ति

3. ‘’ ‘की अशुधियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

पुर्व
साधू
रुप
गुरू

पूर्व
साधु
रूप
गुरू

4. के स्थान पर की अशुधियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

क्रिपा
रितु

कृपा
ऋतु

5. और की अशुधियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

देनिक
वेसी
एनक
एसा

दैनिक
वैसा
ऐनक
ऐसा

6. और की अशुधियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

नोकरी
त्यौहार
ओरत
पड़ोस

नौकरी
त्योहार
औरत
पड़ौस

7. विसर्ग संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

प्राय
अतः एव
प्रातकाल
निसंतान

प्रायः
अतएव
प्रातःकाल
नि:संतान

8. , , , के प्रयोग की अशुधियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

प्रशंशा
दिनेस
भासा
नास
देस
कलस
सरबत

प्रशंसा
दिनेश
भाषा
नाश
देश
कलश
शरबत

9. अल्पप्राण और महाप्राण की अशुधियाँ

अशुद्ध

शुद्ध

झूट
भूक
धोका
श्रेष्ट
घनिष्ट
अभीष्ठ
धंदा

झूठा
भूख
धोखा
श्रेष्ठ
घनिष्ठ
अभीष्ट
धंधा

सामान्य वर्तनी की अशुधियाँ

अशुद्ध वर्तनी

शुद्ध वर्तनी

अकाश
दवाईयाँ
अध्यन
उन्नती
आधीन
कवी
आर्दश
प्रमान
आर्शीवाद
बारात
नही
जिग्यासा
पढता
बिमारी
पड़ौसी
वृज
पीड़ा
मात्रभूमि
पुज्य
पूर्ति
दांत
भूक
रिषि
कवियत्री
रचियता
क्योंकी

आकाश
दवाइयाँ
अध्ययन
उन्नति
अधीन
कवि
आदर्श
प्रमाण
आशीर्वाद
बरात
नहीं
जिज्ञासा
पढ़ता
बीमारी
पड़ोसी
ब्रज
पीड़ा
मातृभूमि
पूज्य
पूर्ति
दाँत
भूख
ऋषि
कवयित्री
रचयिता
क्योंकि

वाक्य संबंधी अशुधियाँ
व्याकरण के नियमों को सही ज्ञान होने के कारण वाक्य में अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ हो जाती हैं, जिनका ध्यान करना आवश्यक है। नीचे कुछ अशुधियाँ तथा उनके शुद्ध रूप दिए जा रहे हैं।

लिंग और वचन संबंधी अशुधियाँ

अशुद्ध वाक्य 

शुद्ध वाक्ये

मेरे माता जी कल जाएँगे।
यह पुस्तक मेरा है।
अपने सभी गुरु का सम्मान करो।

मेरी माता जी कले जाएँगी।
यह पुस्तक मेरी है।
अपने सभी गुरुओं का सम्मान करो।

कारक संबंधी अशुधियाँ

अशुद्ध वाक्य 

शुद्ध वाक्ये

रोगी को दवाई लाओ।
मैंने दिल्ली जाना है।
मेरे को पिता जी ने डाँटा।

रोगी के लिए दवाई लाओ।
मुझे दिल्ली जाना है।
मुझे पिता जी ने डाँटा।

संज्ञा सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध वाक्य 

शुद्ध वाक्ये

मैं आपकी पुस्तक नहीं ली।
रावण बहुत ज्ञानी व्यक्ति था।
तुम तुम्हारा काम करो।
सभी ने सबका काम कर लिया।

मैंने आपकी पुस्तक नहीं ली।
तुम अपना काम करो।
तुम अपना काम करो।
सबने अपना काम कर लिया।

क्रियाविशेषण संबंधी अशुधियाँ

अशुद्ध वाक्य 

शुद्ध वाक्ये

मुझे केवल मात्र बीस रुपए चाहिए।
वह सारी रात भर पढ़ता रहा।

मुझे मात्र बीस रुपये चाहिए।
वह सारी रात पढ़ता रहा।

क्रिया संबंधी अशुधियाँ

अशुद्ध वाक्य 

शुद्ध वाक्ये

आप बोलो।
कृपया भोजन कर लो।

 आप बोलिए।
कृपया भोजन कर लीजिए।

अन्य सामान्य अशुद्धियाँ

अशुद्ध वाक्य 

शुद्ध वाक्ये

हवा ठंडी चल रही है।
रोगी को काटकर सेब खिलाया।
सारे देश भर में बात फैल गई।
वह घर जाकर वापस लौट आया।

ठंडी हवा चल रही है।
सेब काटकर रोगी को खिलाया।
सारे देश में बात फैल गई।
वह घर जाकर लौट आया।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. रिषि का सही विकल्प चुनिए
(i)
रिषी
(ii)
रिशी
(iii)
ऋषि
(iv)
रीषि

2. ब्रह्मण का सही विकल्प चुनिए
(i)
बराहमण
(ii)
ब्राह्मण
(iii)
ब्रामण
(iv)
बराहण

3. शरीमती का सही विकल्प चुनिए
(i)
श्रीमति
(ii)
श्रीमती
(iii)
श्रीमत
(iv)
शीरीमती

4. प्रर्दर्शिनी का सही विकल्प चुनिए
(i)
प्रिदर्शनी
(ii)
प्रदर्शनी
(iii)
प्रदर्शिनि

5. उदेश्य का सही विकल्प चुनिए
(i)
उद्देश्य
(ii)
उद्देष्या
(iii)
उद्देस्य

6. परीबारीक का सही विकल्प चुनिए- :
(i)
पारिवारिक
(ii)
परीबारीक
(iii)
परिवारिक

7. योस का सही विकल्प चुनिए
(i)
योग
(ii)
योग्य
(iii)
योग्या

8. शुद्ध वाक्य के विकल्प को चुनिए
(i)
अपने को घर जाना है।
(ii)
मुझे घर जाना है।
(iii)
मैं घर जाना है।
(iv)
हमारे को घर जाना है।

9. शुद्ध वाक्य के विकल्प को चुनिए
(i)
सेब को काटकर नेहा को खिलाओ
(ii)
नेहा का काटकर खिलाओ सेब
(iii)
सेब को नेहा को काटकर खिलाओ
(iv)
नेहा को सेब काटकर खिलाओ

10. शुद्ध वाक्य के विकल्प को चुनिए
(i)
उनको आज जाना चाहिए।
(ii)
उन्हें आज जाना चाहिए।
(iii)
आज उन्हें जाना चाहिए।

उत्तर-
1. (iii)
2. (iii)
3. (iii)
4. (ii)
5. (i)
6. (i)
7. (i)
8. (ii)
9. (iii)
10. (iii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar मुहावरे और लोकोक्तियाँ

मुहावराशब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है-अभ्यास। हिंदी भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के लिए हम मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग करते हैं। मुहावरा ऐसा शब्द-समूह या वाक्यांश होता है जो अपने शाब्दिक अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करता है। विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने वाले ये वाक्यांश ही मुहावरे Muhavare कहलाते हैं। हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली, संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है। इनके विशेष अर्थ कभी नहीं बदलते। ये सदैव एक-से रहते हैं। ये लिंग, वचन और क्रिया के अनुसार वाक्यों में प्रयुक्त होते हैं। इस प्रकार जो वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ को प्रकट करता है, वह मुहावरा कहलाता है।

नीचे कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे दिए जा रहे हैं

1.     अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना) माँ ने अंकित से पढ़ने के लिए कहा तो वह अगर-मगर करने लगा।

2.     आँखें चुराना (अपने को छिपाना) गलत काम करके आँखें चुराने से कुछ नहीं होगा।

3.     आँखें खुलना (होश आना) जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार गए तो उनकी आँखें खुलीं।

4.     आँखों का तारा (अतिप्रिय) हर बेटा अपनी माँ की आँखों का तारा होता है।

5.     आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) ठग यात्री की आँखों में धूल झोंककर उसका सामान लेकर भाग गया।

6.     आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) अध्यापक के कक्षा से चले जाने पर बच्चों ने आसमान सिर पर उठा लिया।

7.     ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना) अरे आयुष! कहाँ रहते हो? तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।

8.     कान भरना (चुगली करना) विशाल को कान भरने की बुरी आदत है।

9.     खाक छाननी (दर-दर भटकना) नौकरी की तलाश में बेचारा मोहन खाक छान रहा है।

10.    कमर कसना (चुनौती के लिए तैयार होना) भारतीय सैनिक हर संकट के लिए कमर कसे रहते हैं।

11.    खून-पसीना एक करना (कठोर परिश्रम करना) खून-पसीना करके ही हम, अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।

12.    खून का प्यासा (जान लेने पर उतारू होना) जायदाद बटवारे की समस्या ने दोनों भाइयों को एक-दूसरे के खून का प्यासा बना दिया।

13.    ईंट-से ईंट बजाना (विनाश करना) पांडवों ने कौरव-सेना की ईंट-से ईंट बजा दी।

14.    ईमान बेचना (बेईमान होना) आजकल सीधे-सादे आदमी को असानी से उल्लू बनाया जा सकता है।

15.    होश उड़ जाना (घबरा जाना)-अपने सामने जीते जागते शेर को देखकर मेरे होश उड़ गए।

16.    गड़े मुर्दे उखाड़ना (पुरानी बातें दुहराना) गड़े मुर्दे उखाड़कर रोने से कोई फायदा नहीं होता।

17.    गाल बजाना (बहुत अधिक बोलना) नेहा की बातों पर ध्यान मत दो, उसे तो गाल बजाने का शौक है।

18.    गागर में सागर भरना (थोड़े शब्दों में बहुत अधिक कहना) बिहारी लाल ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।

19.    गुदड़ी के लाल (देखने में सामान्य, भीतर से गुणी व्यक्ति) लाल बहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।

20.    घी के दिए जलाना (खुशियाँ मनाना) भारत द्वारा क्रिकेट की श्रृंखला जीतने का समाचार सुनकर क्रिकेट प्रेमियों ने घी के दिए जलाए।

21.    घोड़े बेचकर सोना (निश्चित रहना) परीक्षा देने के बाद आयुष घोड़े बेचकर सो रहा है।

22.    चिकना घड़ा (कुछ असर होना) नेहा पर किसी भी बात का कोई असर नहीं होता, वह तो चिकना घड़ा है।

23.    हवा से बातें करना (बहुत तेज दौड़ना) बाबा भारती का घोड़ा हवा से बातें करता था।

24.    धुन का पक्का (निश्चय पर स्थिर रहने वाला) मनोज अपनी धुन का पक्का है, इस बार अवश्य सफलता प्राप्त करेगा।

25.    छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना) भारतीय क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीकी टीम के छक्के छुड़ा दिए।

26.    चल बसना (मर जाना) आयुष के दादा जी चल बसे।

27.    नाक में दम करना (परेशान करना) गाँव के इन बच्चों ने नाक में दम कर रखा है।

28.    दबे पाँव (बहुत धीमे) चोर दबे पाँव घर में घुसा और चोरी करके चला गया।

29.    टेढ़ी खीर (कठिन कार्य) आई.आई.टी. परीक्षा पास करना टेढ़ी खीर है।

30.    पहाड़ टूट पड़ना (बड़ा संकट आना) व्यापार में बड़े नुकसान से तो मानो अमर पर पहाड़ टूट पड़ा।

31.    खून खौलना (बहुत क्रोध आना) उसके अपशब्द सुनकर मेरा खून खौल गया।

32.    पीठ ठोकना (उत्साहित करना) मेरी सफलता पर गुरु जी ने मेरी पीठ ठोकी।

33.    पत्थर की लकीर (पक्की बात) उसने जो कह दिया उसे पत्थर की लकीर समझो।

34.    नौ दो ग्यारह हो जाना (भाग जाना) पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।

35.    फूला समाना (अत्यंत प्रसन्न होना) कक्षा में प्रथम आने पर नेहा फूली समाई।

36.    बाजी मारना (आगे निकलना) इस बार कक्षा में श्रेया अंशु से बाजी मार ले गई।

37.    मुह में पानी भर आना (जी ललचाना) रसगुल्ले देखते ही उर्वशी के मुँह में पानी भर आया।

38.    रंग में भंग पड़ना (मजा किरकिरा होना) वर्षा के आते ही पार्टी के रंग में भंग पड़ गया।

39.    रंगा-सियार (ढोंगी होना, धूर्त होना) अरे, उसकी बात मान बैठना, वह तो रंगा सियार है।

40.    भैंस के आगे बीन बजाना (मूर्ख के सामने ज्ञान की बातें करना) ओजस्व को समझाना तो भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है।

41.    छाती पर साँप लोटना (दूसरे की तरक्की देखकर जलना) पड़ोसिन के पास हीरे के जेवरात देखकर नंदिता की छाती पर साँप लोटने लगे।

42.    मुट्ठी गरम करना (रिश्वत खिलाना) आजकल मुट्ठी गरम किए बिना कोई काम नहीं बनता।

43.    लाल-पीला होना (क्रुद्ध होना) थोड़ा-सा नुकसान होते ही राजू लाल-पीला होने लगता है।

44.    आँख मारना (इशारा करना) उसने आँख मारकर मुझे बुलाया।

45.    आँख चुराना (सामना करने से बचना) राजा अपने भाई ओजस्व को देखते ही अपनी आँख चुरा लेता है।

46.    घात लगानी (मौका ताकना) बैंक में डकैती करने के लिए डकैत घात लगाए पहले से बैठा था।

47.    राई का पहाड़ बनाना (जरा सी बात को बहुत बढ़ाना) उसकी बात का विश्वास मत करो। वह तो राई को पर्वत बना देता है।

48.    हवा लगना (संगत का असर पड़ना) दिल्ली में आते-जाते रहने से उसे शहर की कुछ ज़्यादा हवा लग गई है।

49.    हाथ बँटाना (सहायता करना) बच्चों को माता-पिता के काम में अवश्य हाथ बँटाना चाहिए।

व्याकरण की किताबें

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लोकोक्तियाँ

लोकोक्ति का अर्थ होता है-लोक की उक्ति अर्थात लोगों द्वारा कही गई बात। इसमें लौकिक जीवन का सत्य एवं अनुभव समाया होता है, ये स्वयं में एक पूर्ण वाक्य होती है; जैसे-अधजल गगरी छलकत जाए। इसका अर्थ है-कम जानकार द्वारा अपने गुणों का बखान करना।

लोकोक्ति के कुछ प्रचलित उदाहरण

1.     अंधों में काना राजा (मूर्खा में कम पढ़ा लिखा व्यक्ति) हमारे गाँव में एक कंपाउंडरे ही लोगों का इलाज करता है, सुना नहीं है-अंधों में काना राजा।

2.     अंधा चाहे दो आँखें (जिसके पास जो चीज नहीं है, वह उसे मिल जाना) आयुष को एक घर की चाह थी, वह उसे मिल गया ठीक ही तो हैअंधा चाहे दो आँखें।

3.     अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत (काम खराब हो जाने के बाद पछताना बेकार है) पूरे वर्ष तो पढ़े नहीं अब परीक्षा में फेल हो गए, तो आँसू बहा रहे हो। बेटा, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।।

4.     आटे के साथ घुन भी पिस जाता है (अपराधी के साथ निर्दोष भी दंड भुगतता है) क्षेत्र में दंगा तो गुंडों ने मचाया, पुलिस दुकानदारों को भी पकड़कर ले गई। इसे कहते हैं, आटे के साथ घुन भी पिस जाता है।

5.     आगे नाथ पीछे पगहा (जिम्मेदारी का होना) पिता के देहांत के बाद रोहन बिलकुल स्वतंत्र हो गया है। आगे नाथ पीछे पगहा।।

6.     धोबी का कुत्ता घर का घाट का (कहीं का रहना) बार-बार दल-बदल करने वाले नेता की स्थिति धोबी के कुत्ते जैसी हो जाती है, वह ने घर का घाट का रह जाता है।

7.     खोदा पहाड़ निकली चुहिया (अधिक परिश्रम कम लाभ) सारा दिन परिश्रम के बाद भी कुछ नहीं मिला।

8.     बैल मुझे मार (जान बूझकर मुसीबत मोल लेना) बेटे के जन्मदिन पर पहले सबको बुला लिया अब खर्चे का रोना रोता है। सच है बैल मुझे मार।

9.     नाच जाने आँगन टेढ़ा (काम तो आता हो, दूसरों में दोष निकालना) काम करना तो आता नहीं, कहते हो औजार खराब है। इसी को कहते हैं नाच जाने आँगन टेढ़ा।

10.    भीगी बिल्ली बनना (दबकर रहना) लाला की नौकरी करना है, तो भीगी बिल्ली बनकर रहना पड़ेगा।

11.    दूध का दूध पानी का पानी (उचित न्याय करना) बीरबल ने गरीब किसान को न्याय दिलाकर दूध का दूध, पानी का पानी कर दिया।

12.    उलटा चोर कोतवाल को डाँटे (अपराधी निरपराध पर दोष लगाए) एक तो राजा ने ओजस्व की पुस्तक फाड़ दी, ऊपर से उसे ही दोष दे रहा है। इसे कहते हैं, उलटा चोर कोतवाल को डाँटे।

13.    जैसी करनी वैसी भरनी (कार्य के हिसाब से फल मिलना) नेहा ने पूरा साल खेल कूद में बिता दिया, इसलिए परीक्षा में उसके अच्छे अंक नहीं आए। इसे कहते हैं-जैसी करनी वैसी भरनी।

14.    दाल-भात में मूसलचंद (व्यर्थ टाँग अड़ाने वाला) हम दोनों के बीच बोलने वाले तुम कौन होते हो? दाल-भात में मूसलचंद बनने की आवश्यकता नहीं।

15.    नदी में रहकर मगर से बैर (बलवान से बैर नहीं करना चाहिए) अपने ही बॉस के खिलाफ तुम शिकायत दर्ज करा रहे हो, पर ध्यान रखना, नदी में रहकर मगर से बैर करना अच्छा नहीं।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. अँगूठा दिखाना
(i)
इनकार करना
(ii)
मजाक बनाना
(iii)
लेकर कुछ वापस करना
(iv)
शर्मिंदा करना

2. अंग-अंग ढीला होना
(i)
गहरी चोट लगना
(ii)
बीमार हो जाना
(iii)
कोई काम करना।
(iv)
शिथिल पड़ना

3. अपना उल्लू सीधा करना
(i)
मूर्ख बनाना
(ii)
स्वार्थी व्यक्ति
(iii)
काम निकालना
(iv)
मूर्ख बनाना

4. आँख में धूल झोंकना
(i)
कमज़ोर करना
(ii)
धोखा देना
(iii)
झूठ बोलना
(iv)
नौ दो ग्यारह होना

5. गड़े मुर्दे उखाड़ना
(i)
कब्र खोदना
(ii)
इतिहास का अध्ययन करना
(iii)
पुरानी चीजें लाना
(iv)
पुरानी बातों को दोहराना

6. उल्टी गंगा बहाना
(i)
बाँध बनाना
(ii)
विपरीत काम करना
(iii)
प्रगति करना
(iv)
कमर के कपड़े गिरने से बचना

7. पानी-पानी होना
(i)
बाढ़ आना
(ii)
कीचड़ होना
(iii)
काम आसान होना
(iv)
लज्जित होना

8. छाती पर मूंग दलना
(i)
असंभव कार्य करना
(ii)
दुख देना
(iii)
कठिन कार्य करना
(iv)
मूंग की दाल खाना

9. दाल गलना
(i)
कुछ कह पाना
(ii)
कुछ काम होना
(iii)
कुछ वश चलना
(iv)
दाल कच्ची रह जाना

10. घाव पर नमक छिड़कना
(i)
किसी के दुख में दुखी होना
(ii)
घाव पर नमक डालना
(iii)
दुखी को और दुखी करना
(iv)
दर्द देना

11. आम के आम गुठलियों के दाम
(i)
दुहरा लाभ होना
(ii)
दोनों की ओर से निराशा
(iii)
अस्थिर बुद्धिवाला
(iv)
अच्छी वस्तु में और अधिक गुण होना

12. एक हाथ से ताली नहीं बजती
(i)
सीधी बात को तैयार होना
(ii)
निर्दोष पर दोष लगाना
(iii)
असंभव काम करना
(iv)
एक के करने से झगड़ा नहीं होता है।

13. थोथा चना बाजे घना
(i)
खाली व्यकित बातें अधिक करता है।
(ii)
थोथे चने से अधिक आवाज आती है।
(iii)
गुणहीन व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।
(iv)
मुर्ख व्यक्ति वाचाल होता है।

14. काला अक्षर भैंस बराबर
(i)
स्याही का रंग काला होता है।
(ii)
अक्षर भैंस की तरह काले रंग का होता है।
(iii)
अनपढ़ व्यक्ति
(iv)
भैंस काला अक्षर नहीं देख सकती

उत्तर-
1. (i)
2. (iv)
3. (iii)
4. (ii)
5. (iv)
6. (iv)
7. (iv)
8. (ii)
9. (iii)
10. (iii)
11. (i)
12. (iv)
13. (iii)
14. (iii)

 

 

 

CBSE Class 6 Hindi Grammar शब्द-भंडार

एक से अधिक वर्षों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं।

शब्दों के भेद

भाषा के शब्द-भंडार में निरंतर वृद्धि होती रहती है। ये शब्द विभिन्न स्त्रोतों से भाषा में मिलकर उसे और समृद्ध बनाते हैं। शब्दों की रचना के मुख्य रूप से निम्नलिखित चार आधार होते हैं।

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1. उत्पत्ति के आधार पर – (तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी)
2.
रचना के आधार पर – (रूढ़, यौगिक, योगरूढ़)
3.
प्रयोग के आधार पर-

·         विकारी शब्द

·         अविकारी शब्द

(i) विकारी शब्द – (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया)
(ii)
अविकारी शब्द – (क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक)

4. अर्थ के आधार पर शब्द भेद शब्द प्रयोग में प्रवीणता प्राप्त करने के लिए उसके विभिन्न रूपों के ज्ञान का होना आवश्यक है। अर्थ के आधार पर विभिन्न शब्द रूप निम्नलिखित हैं
(
) पर्यायवाची शब्द
(
) विलोम शब्द
(
) वाक्यांशों के लिए एक शब्द
(
) समान अर्थ प्रतीत होने वाले शब्द
(
) एकार्थक शब्द
(
) अनेकार्थक शब्द
(
) श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द

() पर्यायवाची शब्द अर्थ की दृष्टि से समान शब्द, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं। ये शब्द समान अर्थ रखते हुए भी सूक्ष्म सा अंतर प्रकट करते हैं। नीचे कुछ पर्यायवाची शब्दों की सूची दी जा रही है। उन्हें ध्यान से पढ़िए और याद कीजिए।

1. अमृत

पीयूष

सुधा

अमित

सोम

2. असुर

राक्षस

दानव

दैत्य

निशाचर

3. आँख

नयन

लोचन

चक्षु

अक्षि

4. अश्व

घोड़ा

वाजि

हय

तुरंग

5. अहंकार

दंभ

घमंड

दर्प

अभिमान

6. आकाश

गगन

व्योम

नभ

अंबर

7. अग्नि

आग

पावक

दहन

अनल

8. अतिथि

अभ्यागत

आगंतुक

मेहमान

पाहुना

9. आनंद

आमोद

प्रमोद

हर्ष

उल्लास

10. आम

रसाल

सहकार

आम्र

अतिसौरभ

11. इच्छा

लालसा

चाह

कामना

अभिलाषा

12. इंद्र

देवराज

देवेंद्र

पुरंदर

सुरेंद्र

13. ईश्वर

ईश

परमात्मा

परमेश्वर

भगवान

14. उपेक्षा

लापरवाही

तिरस्कार

उदासीनता

15. उद्यान

उपवन

फु लवाड़ी

बगीचा

वाटिका

16. कमल

पंकज

नीरज

सरोज

सरलिज

17. किनारा

कगार

कूल

तट

तीर

18. किरण

रश्मि

मयूख

अंशु

मरीचि

19. गर्व

घमंड

दर्प

अभिमान

अहंकार

20. क्रोध

क्रोध

गुस्सा

रिस

रोष

21. घर

गृह

धाम

भवन

निकेतन

22. चतुर

कुशल

दक्ष

प्रवीण

होशियार

23. चंद्रमा

चाँद

हिमांशु

विधु

सुधाकर

24. झंडा

ध्वज

ध्वजा

पताका

चिह्न

25. तट

कूल

किनारा

तीर

कगार

26. जल

पानी

नीर

अंबु

वारि

27. तलवार

कृपाण

खड्ग

शमशीर

असि

28. दास

नौकरे

सेवक

चाकर

किंकर

29. पर्वत

शैल

गिरि

नग

पहाड़

30. पवन

अनिल

वायु

समीर

हवा

31. पुत्र

आत्मज

बेटा

सुत

तनय

32. पुत्री

आत्मजा

बेटी

सुता

तनया

33. पुष्प

कुसुम

प्रसून

फूल

सुमन

34. पृथ्वी

धरती

वसुधा

अचला

धरा

35. प्रकाश

आलोक

उजाला

ज्योति

दीपित

36. मित्र

सखा

सहचर

साथी

मीत

37. मछली

मीन

मतस्य

मकर

सहरी

38. मानव

मनुष्य

इंसान

नर

जन

39. महादेव

शिव

शंकर

पशुपति

आशुतोष

40. मेघ

जलधर

घन

बादल

नीरद

41. विष्णु

केशव

माधव

चतुर्भुज

42. राजा

नरेश

नृप

भूपति

महीपति

43. वस्त्र

अंबर

कपड़ा

सुता

पट

44. शत्रु

अरि

दुश्मन

रिपु

वैरी

45. संसार

लोक

विश्व

भुवन

जग

46. सुंदर

चारू

मोहक

लवित

मनोहर

47. शरीर

तन

काया

गात

देह

48. शिक्षक

अध्यापक

गुरु

आचार्य

उपाध्याय

49. हवा

मरूत

बात

अनिल

समीर

50. दूध

गोरस

पय

क्षीर

दुग्ध

51. देवता

सुर

दैव

अमर

निजी

52. नाव

नौका

तरणी

तरी

ढोंगी

53. पार्वती

उमा

भवानी

दुर्गा

रुद्राणी

54. महादेव

शंकर

भूतनाथ

त्रिपुरारि

त्रिलोचन

55. रात

रजनी

तमसा

विभारी

यामिनी

56. लक्ष्मी

कमला

विष्णुप्रिया

हरिप्रिया

रमा।

57. सोना

स्वर्ण

कनक

कंचन

सुवर्ण

58. हाथ

कर

पाणि

हस्त

59. हिरन

मृग

कुरंग

सारंग

हरिण

() विलोम शब्द

जो शब्द अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के विपरीत अर्थ का ज्ञान कराते हैं, वे विलोम अथवा विपरीतार्थक शब्द कहलाते हैं। ऐसे शब्दों की रचना अधिकांशतः विभिन्न उपसर्गों (सु, कु, अप, नि, , अव आदि) के प्रयोग से होती है। कुछ विलोम शब्द स्वतंत्र भी होते हैं। नीचे कुछ विलोम शब्दों की सूची दी जा रही है। उन्हें आप ध्यानपूर्वक पढ़ें, समझें और याद करें-
CBSE Class 6 Hindi Grammar शब्द-भंडार 1

CBSE Class 6 Hindi Grammar शब्द-भंडार 2

() अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

जिन शब्दों का प्रयोग वाक्यांश या अनेक शब्दों के स्थान पर किया जाता है, उन्हें शब्दों के लिए एक शब्द कहते हैं। अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग करने से भाषा में संक्षिप्तता, स्पष्टता तथा सुंदरता आती है।

अनेक शब्द/वाक्यांश

एक शब्द

1. जिसे कभी बुढ़ापा आए
2.
जो कभी मरे
3.
जो जीता जा सके
4.
जिसकी तुलना हो
5.
जो दिखाई दे।
6.
जिसमें धैर्य हो।
7.
जो पढ़ा हो
8.
जिसको रोका जा सके।
9.
जिसका इलाज हो सके
10.
जो वेतन के बिना काम करे
11.
जिस पर विश्वास किया जा सके।
12.
जो ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास रखता हो
13.
जो ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास रखता हो
14.
दूसरों से ईष्र्या करने वाला
15.
दोपहर के पूर्व का समय
16.
जिसने ऋण चुका दिया हो।
17.
जो किए हुए उपकारे को माने
18.
जिसका आरंभ हो।
19.
जहाँ पहुँचा जा सके
20.
दोपहर के बाद का समय
21.
जिसके हृदय में दया और ममता हो।
22.
जो इस लोक में मिलना संभव हो
23.
हृदय की बात जानने वाला
24.
जो मानव स्वभाव के विपरीत हो
25.
जिसे शाप दिया गया हो
26.
पत्र-पत्रिकाओं में समाचार भेजने वाला
27.
जिसका आकार हो
28.
जो हाथ से लिखा हुआ हो।
29.
आठ भुजाओं वाला
30.
उपकार को मानने वाला
31.
अपनी इंद्रियों को जीतने वाला
32.
धर्म को जानने वाला
33.
शत्रु की हत्या करने वाला
34.
जिसकी कल्पना ने की जा सके
35.
जिसका कोई अंत हो।
36.
शरण में आया हुआ
37.
अवसर के अनुसार बदल जाने वाला
38.
जिसे पर अभियोग लगाया गया हो।
39.
जिसे बात में कोई संदेह हो

अजर
अमर
अजेय
अतुलनी
अदृश्य
अधीर
अनपढ़
अनिवार्य
असाध्य
अवैतनिक
अविश्वसनीय
आस्तिक
नास्तिक
ईर्ष्यालु
पूर्वाह्न
उऋण
कृतज्ञ
अनादि
अगम
अपराह्न
निर्दय
अलौकिक
अंतर्यामी
अमानवीय
अभिशप्त
संवाददाता
निराकार
हस्तलिखित
अष्टभुजी
कृतज्ञ
जितेंद्रिय
धर्मज्ञ
शत्रुघ्न
कल्पनातीत
अनंत
शरणागत
अवसरवादी
अभियुक्त
असंदिग्ध

() समरूपी भिन्नार्थक शब्द (शब्द-युग्म)

ऐसे शब्द जो पढ़ने और सुनने में लगभग एक से लगते हैं, परंतु अर्थ की दृष्टि से भिन्न होते हैं, श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं; जैसेअंश-हिस्सी, अंस-कंधा।

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() एकार्थी शब्द

जिन शब्दों का अर्थ सदैव एक सा रहता है, उन्हें एकार्थी या एकार्थक शब्द कहते हैं; जैसे-

शब्द

अर्थ

पुनीत
लालसा
नियति
कोकिल
तृतीय
मयंक
घाव
कपोल
बच्चा
युवक
सच
कपड़ा
युद्ध
साक्षर
उक्ति
वध
भुजंग
मयूर
ऋण
निपुण
मरीज
बटोही
आरोग्य
डर
चित्र
वारि
संहार

पवित्र
इच्छा
भाग्य
कोयल
तीसरा
चंद्रमा
जख्म
गाल
शिशु
युवा
वास्तविक
वस्त्र
संग्राम
शिक्षित
कथन
हत्या
साँप
मोर
कर्ज
चतुर
रोगी
राहगीर
रोगरहित
भय
तस्वीर
जल
नष्ट

() अनेकार्थी शब्द

जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, वे अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं।
कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं। इन शब्दों का अर्थ प्रयोग के अनुसार बदलता रहता है। यानी विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न अर्थ देने वाले ये शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं; जैसे-कल शब्द का अर्थ मशीन भी है और बीता या आने वाला दिन भी।

कुछ अनेकार्थी शब्द
अर्थ कारण, धन, मतलब
पत्र चिट्ठी, पत्ता, पंख
उत्तर जवाब, एक, दिशा बाद का
बल शक्ति, सेना, बलराम, ऐंठन
अंबर आकाश, वस्त्र, केसर, कपास, अभ्रक
मत राय, नहीं, विचार
अक्ष आँख, सर्प, पहिया, छुरी, पासों का खेल
मित्र सूर्य, दोस्त, वरुण देवता
अक्षर वर्ण, धर्म, मोक्ष, सत्य
मधु शहद, मीठा, सोमरस, मद्य, वसंत ऋतु
अर्थ धन, मतलब, प्रयोजन, कारण
योग युक्ति, ध्यान, उपाय, जोड़, संयोग
ईश्वर स्वामी, परमेश्वर, संपन्न
सोम चंद्रमा, अमृत, कपूर, एक पर्वत, सप्ताह का एक दिन
कुल वंश, सारा, सभी
हंस आत्मा, सूर्य, विष्णु, घोड़ा, एक प्रकार का पक्षी
गुरु शिक्षक, भारी, श्रेष्ठ, बड़ा
श्री कांति, लक्ष्मी, शोभा, संपत्ति, सौदर्य, वृद्धि, सिद्धि
घट घटा, शरीर, मन
विधि ढंग, रीति, शास्त्र, नियम तरीका, उपाय, कानून, भाग्य, ब्रह्मा
जड़ मूर्ख, अचेतन, मूल
पट वस्त्र, पर्दा, कपाट, छत, सिंहासन
ताल तालाब, संगीत की ताल
आतुर रोगी, व्याकुल, उत्सुक, विकल, पीड़िते।
दल पत्ता, सेना, झुंड, पार्टी
हरि विष्णु, बंदर, सिंह, इंद्र, सर्प, सूर्य

() समान अर्थ प्रतीत होने वाले शब्द

जो शब्द समान अर्थ देने वाले लगते हैं पर वास्तव में उनके अर्थ भिन्न होते हैं। ऐसे शब्द समान अर्थ प्रतीत होने वाले शब्द कहलाते हैं; जैसे

शब्द

अर्थ

1. अपराध
पाप

कानून के विरुद्ध कार्य
अनैतिक काम

2. अनुरोध
प्रार्थना

विनती करना
निवेदन करना

3. अधिक
पर्याप्त

जरूरत से ज़्यादा
जितनी जरूरत है।

4. आवश्यक
अनिवार्य

जरूरी
जिसके बिना काम असंभव हो।

5. कष्ट
क्लेश

सभी प्रकार के दुख।
मन का दुख

6. खेद
शोक

गलती होने पर दुख प्रकट करना।
मृत्यु पर दुख प्रकट करना

7. अस्त्र
शस्त्र

जिसे फेंककर इस्तेमाल किया जाता है; जैसे-भाला, बाण
जिसे हाथ से पकड़कर चलाया जाए; जैसे-तलवार, लाठी

8. दुर्गम
अगम

जहाँ पहुँचना कठिन हो।
जहाँ पहुँचना संभव हो।

9. विवेक
ज्ञान

अच्छाई-बुराई की पहचान।
किसी विषय की जानकारी।

10. सुख
आनंद

लाभ होने पर खुशी का भाव
दुख और सुख से ऊपर उठना

11. प्रेम
स्नेह

प्रणय, सभी के प्रति
छोटो के प्रति।

12. गर्व
गौरव

किसी उपलब्धि पर सच्चा गर्व।
किसी प्रतिष्ठा पर गर्व

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